Farming

जिला प्रशासन की पहल से बेरोजगार युवा पर्यटन से जुड़ कमा रहे अच्छी आमदनी*

 

लावनी मुखर्जी
झारखंड:राज्य का पश्चिम सिंहभूम जिला एक वन पर्यावरण, खनिज जल संसाधन इत्यादि से परिपूर्ण एक मनोरम जिला है। यहां उपस्थित अनेकों संसाधन से भारत की अर्थव्यवस्था में भी अहम योगदान रहा है। फिर भी यहाँ युवा वर्ग का पलायन करना एक विकट समस्या है। प्रायः देखा जाता है, कि शिक्षित बेरोजगार युवक/युवती जिला छोड़कर किसी और राज्य के तरफ रोजगार हेतु पलायन कर जाते हैं। जल संसाधन की ओर देखें तो इस जिले में 06 जलाशय और अनेकों खदान तालाब हैं।जिसका निर्माण सिंचाई के उद्देश्य से किया गया है। निर्माण के दौरान वहां के स्थानीय का विस्थापन हो गया और उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति दयनीय हो गयी। जिससे वहां के लोग मुख्यधारा से विचलित होकर असामाजिक गतिविधियों में लिप्त हो गए थे। मत्स्य व्यवसाय आज तेजी से बढ़ रहा है, एवं ग्रामीण क्षेत्र में आर्थिक एवं सामाजिक उत्थान में अहम भूमिका निभा रही है। मत्स्य व्यवसाई से ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य रोजगार एवं आय के सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। जिला मत्स्य कार्यालय के सार्थक पहल से विस्थापित लोगों को केज पद्धति से मछली पालन करने हेतु प्रेरित किया गया जिसका बेहद सकारात्मक पहल देखने को मिला लोगों को रोजगार के साथ-साथ खाने के लिए मछली भी पर्याप्त रूप से मिलने लगा।

जिले के कुल 06 जलाशय और 02 खदान तालाब बहुत ही सुदूरवर्ती क्षेत्र में निर्मित हैं। जहाँ आमतौर से लोग जाने से भी डरते थे। जिसे देखते हुए सभी जलाशयों में पर्यटन के दृष्टिकोण से मोटर बोट/ पेडल बोट मत्स्य जीवी समितियों को दिया गया ताकि वे केज पद्धति के साथ-साथ पर्यटन से भी अच्छी आमदनी उपार्जित कर सकें। जिले के सदर प्रखंड में मोदी जलाशय, चक्रधरपुर प्रखंड में जैनासाई जलाशय, बंदगांव प्रखंड में नकटी जलाशय, सोनुआ प्रखंड में पनसुआ जलाशय, मँझगांव प्रखंड में बेलमा जलाशय, मंझारी प्रखंड में तोरलो जलाशय, 02 खदान तालाब सदर प्रखंड में कमरहातु तालाब, जगन्नाथपुर प्रखंड के करंजिया तालाब मौजूद है। नकटी और पनसुआ सुदूरवर्ती क्षेत्र होने के कारण असामाजिक गतिविधियां बहुत ज्यादा थी परंतु जिला प्रशासन के द्वारा मोटरबोट उपलब्ध करा देने के बाद असामाजिक गतिविधियों में बेहद कमी देखी गई है। जगन्नाथपुर प्रखंड के करंजिया तालाब में महिला समूह के द्वारा केज पद्धति से मछली पालन कर अपनी आजीविका को चलाया जा रहा है।

केज पद्धति से मछली पालन करने पर एक केज बैटरी से लगभग 03 से 04 टन मछली का उत्पादन आसानी से किया जा सकता है। जिससे लगभग 1.5 लाख से 02 लाख तक की आमदनी कमाया जा सकता है। वर्तमान में जिले में लगभग विभिन्न जलाशयों में 400 केज बैटरी मौजूद है। अगर पर्यटन के क्षेत्र में देखा जाए तो मत्स्य पालन समिति के द्वारा जानकारी साझा किया गया कि पर्यटन के सीजन के समय मोटर वोट से उन्होंने लगभग प्रतिमाह 1.5 लाख से 02 लाख तक कि आमदनी आसानी से अर्जित किया है।

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