नेताजी के जेल जाते ही दिखी समस्या, बाहर आते ही नंगे पांव चलकर पहुंच गए डीसी ऑफिस और बताइए समस्या…. काश जेल की जगह जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र का दौरा करते और वहां के समस्याओं के समाधान के लिए पदयात्रा ही कर लेते तो सुधर जाती स्थिति
संजय कुमार सिंह
झारखंड: पूर्वी सिंहभूम जिला जमशेदपुर निवासी कांग्रेसी नेता अफताब अहमद सिद्दकी जब से जेल की हवा खाने के बाद बाहर आये है, तब से उन्हें जेल की समस्या याद आने लगी।इसके लिए वे अपने घर से हाथ में तिरंगा ध्वज लेकर लगभग चार-पांच किलोमीटर पैदल चलते हुए जिला उपायुक्त कार्यालय पहुंच गए। उन्होंने एक ज्ञापन सौंपकर जेल की समस्याओं से प्रशासन को अवगत कराया है। साथ ही अनुरोध किया है जेल में व्याप्त बिजली, पानी की समस्या जल्दी दूर की जाए। हालांकि इन नेता को यह नहीं समझ आया जेल का मतलब ही होता है कष्टदायक स्थान। जहां आप अपने घर की सुविधा के अनुसार नहीं रह सकते हैं। वहीं अगर इनकी तरह अन्य जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र में पदयात्रा करें, तो वहां की मुख्य समस्या विद्युत, पानी और सड़क के समस्या का हल आसानी से हो सकता है।लेकिन ऐसा होता नहीं है। अब जेल यात्रा के बाद नेताजी को कष्ट में बिताए गए दिन याद आया, तो दौड़ लगा दी उपायुक्त कार्यालय का और समाधान के लिए लगा दिए गुहार।जो चर्चा का विषय है।
जमशेदपुर के कांग्रेस नेता अफताब अहमद सिद्दकी ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि घाघीडीह सेंट्रल कारा जमशेदपुए मे तकरीबन 2000 बंदी रहते हैं जिसमें काफी संख्या में महिलाएं और छोटे बच्चे भी हैं वहां पर पानी और बिजली की इस भीषण गर्मी में बहुत ज्यादा दिक्कत हो रही है पानी सबसे जरूरी चीज है नहाने धोने से लेकर नित्य के बहुत सारे काम पानी पर निर्भर रहते हैं वर्तमान में टैंकर से जलापूर्ति हो रही है जो चापाकल है वह काफी नहीं है आप जैसी सुसंस्कृत और कार्य के प्रति सदैव सजग रहने वाली उपायुक्त महोदय महोदया आप से आपसे बंदियों और उनके परिवार वालों की तरफ से हमारी विनम्र प्रार्थना है कि आप जब बिजली कटती है और पानी नहीं रहता तो नर्क से बदतर स्थिति हो जाती है।
बंदियों और उनके परिवार वालों की तरफ से हमारी विनम्र प्रार्थना है कि आप जुस्को को आदेश दे कि वह वहां पर पानी और बिजली की व्यवस्था करें। कोई भी बंदी जन्मजात अपराधी नहीं होता समय लालच और पारिवारिक परिस्थितियां उसे अपराधी बनाती हैं उन्हे भी समाज की मुख्यधारा में शामिल होने का अवसर मिलना चाहिए । मैंने पूर्व में झारखंड सरकार के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से भी आग्रह किया है कि इस विषय में आप संज्ञान ले।हमें आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आप इस कार्य में अपनी मानवता और संवेदनशीलता का परिचय देंगी तथा इस कार्य को अपने अंजाम तक पहुंचाकर एक मील का पत्थर साबित करेगी। आपके इस कार्य के लिए बंदियों महिला,बंदियों उनके छोटे छोटे बच्चो और परिवार वालों की दुआ आपको मिलेगी। इस दर्द को लगभग छह माह जेल में रहकर मैंने भी महसूस किया है।