Regional

सिद्ध पीठ मां कुष्मांडा मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि मां दुर्गा की पूजा के बाद मूर्ति से नीर लेकर जो कोई भक्त अपनी आंखों पर लगाता उसे ‘दिव्य नेत्र ज्योति’ प्राप्त होती

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

यूपी: कानपुर शहर से लगभग 40 किलोमीटर दूर घाटमपुर ब्लाक में मां कुष्मांडा देवी का 1000 वर्ष पुराना मंदिर है l यहां मां कुष्मांडा एक पिंडी के स्वरूप में लेटी हैं, जिससे लगातर पानी रिसता रहता है l माना जाता है कि मां की पूजा अर्चना के पश्चात प्रतिमा से जल लेकर ग्रहण करने से सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है। इस जल को नेत्रों में लगाने से सारे नेत्र रोग दूर होते हैं। आज तक वैज्ञानिक भी इस रहस्य का पता नहीं लगा पाए कि ये जल कहां से आता है l कहा जाता है कि यहां पहले घना जंगल था। इसी गांव का कुड़हा नामक ग्वाला गाएं चराने जाता था। शाम के समय जब वह दूध निकालने जाता तो गाय एक बूंद भी दूध नहीं देती। ग्वाले ने इस बात की निगरानी की। रात में ग्वाले को मां ने स्वप्न में दर्शन दिए। वह गाय को लेकर गया तभी एक स्थान पर गाय के आंचल से दूध की धारा निकलने लगी। ग्वाले ने उस स्थान की खुदवाई करवाई। वहां मां कूष्मांडा देवी की पिंडी निकली। उसी स्थान पर मां की पिंडी स्थापित कर दी और उसमें से निकलने वाले जल को प्रसाद स्वरूप ग्रहण करने लगे। चरवाहे कुड़हा के नाम पर मां कूष्मांडा का एक नाम कुड़हा देवी भी है। स्थानीय लोग मां को इसी नाम से पुकारते हैं। मंदिर में मां कूष्मांडा की अखंड ज्योति निरंतर प्रज्वलित हो रही है। यहां रिसने वाले जल के ग्रहण से सभी प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं। सूर्योदय से पूर्व नहा कर 6 माह तक इस जल का प्रयोग किया जाए तो उसकी बीमारी शत प्रतिशत ठीक हो जाएगी। कहा जाता है कि इसके लिए बहुत नियम की जरूरत होती है l यहां दो तालाब बने हुए हैं, यह तालाब कभी नहीं सुखते हैं। लोग एक तालाब में स्नान करने के पश्चात दूसरे कुंड से जल लेकर माता को अर्पित करते हैं। माता कूष्मांडा देवी के मंदिर परिसर में दीपदान महोत्सव काफी सुंदर होता है। दीपदान करने के लिए लाखो लोग पहुंचते हैं।

Related Posts