उड़ीसा राज्य के क्योंझर जिला अंतर्गत करंजिया मयूरभंज क्षेत्र स्थित मां किचकेश्वरी मंदिर इन दिनों लोगों के बीच अद्भुत दर्शनीय स्थल के रूप में चर्चे में पत्थरों को तराश व मूर्तियां बना,किचिंग गांव की पहचान बना रहे मूर्तिकार माॅ किचकेश्वरी की महिमा एवं आशीर्वाद के कारण यहां के लोग किसिंग गांव में ना सिर्फ फल -फूल रहे हैं
सिद्धार्थ पाण्डेय
ओडिशा: राज्य के क्योंझर जिला अंतर्गत करंजिया मयूरभंज क्षेत्र स्थित मां किचकेश्वरी मंदिर इन दिनों लोगों के बीच अद्भुत दर्शनीय स्थल के रूप में चर्चे में है । मां किचकेश्वरी
मंदिर,पश्चिम सिंहभूम (चाईबासा )के जैतगढ एवं उडीसा के जोड़ा के समीप होने के कारण लोगों का आकर्षण का केंद्र बना हुआ है । गुवा क्षेत्र स्थित कल्याण नगर के श्रद्धालुओं का टीम उड़ीसा राज्य के किचिंग गांव मां किचकेश्वरी के दर्शनार्थ हेतु पहुंचा । मंदिर की आकर्षक रूप सज्जा एवं 100 फीट की ऊंचाई श्रद्धालुओं को आंदोलित कर दिया । 1764 स्क्वायर फीट में मंदिर का फैलाव व मंदिर के अंदर की गई बागवानी का दृश्य काफी सुंदर देखने को मिला ।1934 में उक्त मंदिर का जीर्णोद्वार मयूरभंज के राजा, महाराजा प्रताप चंद्र भंजदेव के द्वारा की गई थी ।
वर्तमान में पूर्णतः काले पत्थर से निर्मित मंदिर को देखने हेतु श्रद्धालुओं का भीड़ पूरे उमंग के साथ पहुंच रहा है ।
किचिंग गांव के रहने वाले लोगों का व्यवसाय काले पत्थरों को तराश कर मूर्तियां बनाना है ।यहां घर-घर में विभिन्न प्रकार के आकर्षक काले पत्थर की मूर्तियां मूर्तिकारों के द्वारा तलाशी जाती है ।यह मूर्ति देश के विभिन्न हिस्सों में यहां से भेजी जाती है । यहाँ के रहने वाले ग्रामीण बहुत बहुत ही लगाव एवं ईमानदारी से मूर्तियों को तरसते हैं । मूर्तिया राज्य के अतिरिक्त देश एवं विदेश में भेजा जाता है । बरहालमां किचकेश्वरी की महिमा एवं आशीर्वाद के कारण यहां के लोग किसिंग गांव में ना सिर्फ फल -फूल रहे हैं, अपितु अपने अद्भुत कलाकारी से एक अच्छे मूर्तिकार के रूप में जाने जा रहे हैं । देखा गया कि देखा गया कि मंदिर परिसर के अंदर मंदिर के बगल में भगवान शंकर भगवान शंकर का एक मंदिर बना हुआ है ।मंदिर के ठीक सामने त्रिशूल की आकृति के साथ बनी हुई एक पिंड काफी सुंदर एवं आकर्षक है। मंदिर नुमा पिंड के समक्ष करीब 20 केजी का एक मजबूत लोहे का रॉड रखा गया है ।ऐसा माना जाता है अगर इस लोहे के रॉड को कंधे पर रखकर मंदिर की परिक्रमा, 3 या 5 बार कर ली जाती है,तो मनुष्य के सारे पाप धूल जाते हैं |