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साइबर थाना प्रभारी उपेंद्र मंडल के मेहरबानी से ब्लैकमेलर गिरोह चोला बदल कर बन गया स्वयंभू पत्रकार,अब लोगों को बना रहा शिकार

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

झारखंड: पूर्वी सिंहभूम जिला स्थित जमशेदपुर के बिष्टुपुर साइबर थाना प्रभारी उपेंद्र मंडल के मेहरबानी से अपराधी छवि वालों ने स्वयंभू पत्रकार बन कर ब्लैक मेलिंग करने का एक गिरोह बना लिया है।अब यह गिरोह शहर वासियों को आर्म्स के जगह माइक और पेन का भय दिखाकर ब्लैक मेलिंग कर रहा है।
एक ओर पुलिस के ही अधिकारी परिश्रम कर साइबर अपराधियों को पकड़ कर उनके विरुद्ध मुकदमे दर्ज करते हैं और जब जांच की बारी आती है तो उपेंद्र मंडल जैसे अधिकारी उन आरोपियों को बचाने में लग जाते हैं। ऐसा ही कुछ मामला 14 जनवरी 2019 को एमजीएम थाना में ओंकार सिंह, और अविनाश शर्मा ,श्रीकांत सिंह, देव रत्ती चौधरी ,सुबोध, अभिषेक, अभिनव और छोटू के विरुद्ध धारा 420 ,467 468, 471 भादवी एवं 66(c)(d) आईपीसी एक्ट के अंतर्गत संज्ञेय अपराध का मामला दर्ज किया गया। इस बीच पुलिस की लापरवाही के चलते अविनाश शर्मा कोर्ट से बेल पर बाहर आ गया।उसने पुलिस और समाज को धोखा देने के लिए स्वयंभू पत्रकार बनकर पत्रकारिता का चोला ओढ़ लिया। साथ ही अपनी भाभी के इज्जत से खेलने वाले कुकर्मी
विनोद सिंह को गिरोह का मुखिया बना दिया। यहां विनोद सिंह ने अपने नौकर इंद्रजीत सिंह भुल्लर,झाड़ू पोछा करने वाली नौकरानी अदिति सिंह सहित अन्य अपराधिक छवि के लोगों को मिलाकर एक गिरोह का निर्माण कर लिया। इन्हें समाज और पुलिस से बचाने के लिए कुत्ते के दुपट्टा जैसा पट्टा प्रेस के नाम पर गले में पहना दिया गया। अब यह लोग उस पट्टे को गले में लटका कर शहर वासियों को डरा कर ब्लैक मेलिंग कर रहे हैं।ये सभी अपने मालिक विनोद सिंह के प्रति बहुत वफादार हैं। जो चपरासी के लायक भी नही है और कम पढ़े लिखे जाहिल विनोद सिंह का परिचय ब्यूरो हेड के रूप में देते हैं।असल में इनका पत्रकारिता से कभी वास्ता पड़ा नहीं है।इस लिए ब्यूरो हेड, ब्यूरो चीफ या मालिक का अंतर पता नहीं है। जो पत्रकार इस समाचार को पढ़ रहे होंगे, वे समझ रहे होंगे कि क्या अंतर होता है।इस लिए स्वयंभू पत्रकार गिरोह को समाचार तक लिखने नहीं आता है।


वहीं बिष्टुपुर साइबर थाना प्रभारी उपेंद्र मंडल ने लक्ष्मी नर्सिंग होम के मामले में मुकदमे को 9 महीने तक लटकाए रखा। कोर्ट के द्वारा निर्देश पर आनन-फानन में केस दर्ज किया। यहां भी साइबर एक्ट हटाकर साधारण मुकदमा बना दिया और जांच के नाम पर उसे दबाए रखा है। इससे जाहिर है साइबर थाना प्रभारी उपेंद्र मंडल संभवत साइबर अपराधियों के साथ मिले हुए हैं। इनसे उन्हें किस रूप से लाभ मिल रहा है। यह जांच का विषय है।इन जैसे पुलिस अधिकारी जिसके चलते साइबर के आरोपी को सजा नहीं मिल पाता है।इसका उदाहरण है साइबर आरोपी अविनाश शर्मा बेल पर जेल से बाहर आया और बन बैठा स्वयंभू पत्रकार।अब यह आरोपी पुलिसवाले को माइक और पेन दिखा कर प्रश्न करता है। पुलिसवाले उसके हर प्रश्न का जवाब देते हैं। सूत्रों के अनुसार यह ब्लैकमेलर गिरोह कूछ पुलिस वालों से मंथली रूपया वसूल रहे हैं। साथ ही अपने मुकदमे को दबाने के लिए उन्हीं पुलिस कर्मियों का मदद लें रहें हैं।इस मामले में जमशेदपुर एस एस पी को जांच करनी चाहिए।
जिस तेजी से पुलिस ने टीएमएच के डॉक्टर के 1.18 लाख रुपए ठगने वाले साइबर आरोपी, बंगाल के उल्टी निवासी विशाल पांडे को नोएडा से पकड़ कर लाए,उसी तेजी से अगर संस्वभू पत्रकार गिरोह और ब्लैकमेल विनोद सिंह, अविनाश शर्मा ,इंद्रजीत सिंह भुल्लर, अदिति सिंह सहित गिरोह के अन्य सदस्यों की शिकायत मिलते ही कार्रवाई करते तो, आज शहर के अनेक लोग ठगे जाने से या ब्लैक मेलिंग के शिकार होने से बच जाते।लेकिन यहां पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही। साइबर अपराधियों का मनोबल इतना बढ़ गया है कि इनके विरुद्ध जो भी लिखने का प्रयास करता है, उस पत्रकार के घर पर हमला, उसे बदनाम करने की कोशिश और कीचड़ उछालने से बाज नहीं आते हैं। आवश्यकता है ऐसे पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए,जो अपराधियों को संरक्षण दे रहे हैं। इनकी पहचान होनी आवश्यकता है। और इन पर कार्रवाई होनी चाहिए।

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