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पारंपरिक हथियार और ढोल नगाड़ा के साथ सड़क पर नित्य करते उतरा संथाल समाज, बंद रहा पटमदा , बीच सड़क पर भोजन करते संथाल समाज कि महिलाएं

 

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

. झारखंड: पूर्वी सिंहभूम जिला स्थित पटमदा में ओलचिकी हूल बैसी के बैनर तले मंगलवार को बंद समर्थक पटमदा के

बेलटाड चौक में संथाल समाज की पुरुष महिलाओं ने संयुक्त रूप से पारंपरिक हथियार एवं ढोल नगाड़ा के साथ नाचते गाते सड़क पर उतरे। आंदोलनकारियों ने सुबह के 6:00 बजे से शाम के 4:00 बजे तक अपनी अधिकार की मांग को लेकर सड़क पर डटे रहे।बेलटांड़ चौक परिसर को संताल समुदाय के सैकड़ों लोगों ने मुख्य सड़क को जाम कर दिया और झारखंड सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। सुरक्षा की दृष्टि से मौके पर उपस्थित पटमदा सीओ चन्द्रशेखर तिवारी, मानगो के सर्किल इंस्पेक्टर मोहन कुमार व थाना प्रभारी रणजीत कुमार सिंह के लगातार प्रयास के बावजूद आंदोलनकारी एक नहीं माने और उनका आंदोलन जारी रहा।आंदोलन के दौरान भूख लगने पर कमेटी द्वारा सड़क के बीच ही पुरुष महिलाओं को भर पेट भोजन कराया एवं पानी पिलाया गया।इस दौरान सड़क के दोनों छोर पर वाहनों की लंबी कतार लग गई। राहगीरों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा।शाम के 4:00 बजे आंदोलनकारियों द्वारा जाम हटाए जाने से मौके पर उपस्थित पुलिस अधिकारियों ने बारी बारी से जाम में फंसे वाहनों को किलियर करवाया।जिसके बाद लोगों ने राहत की सांस ली।आंदोलनकारियों के समर्थन में उतरे पटमदा जिला परिषद सदस्य प्रदीप बेसरा ने कहा कि संथाली भाषा को प्रथम राजभाषा का दर्जा देना होगा, स्कूल कॉलेजों में संथाली शिक्षकों की बहाली एवं बच्चों का पठन-पाठन आरंभ कराना होगा। जबकि समाज के दिवाकर टुडू ने कहा कि झारखंड में संताली अकादमी का गठन करें एवं संथाली भाषा का ओलचिकी लिपि से पुस्तकों का मुद्रण करें. मौके पर जीतू लाल मुर्मू, कानुराम बेसरा, टीकाराम मुर्मू, छुटुलाल हांसदा, हेमंत शेखर मुर्मू, बुद्धेश्वर टुडू, सिजेन हेम्ब्रम, कृष्णा हेम्ब्रम, मनसाराम हांसदा शामिल थे।

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