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भारत में लगभग 461 जनजातियां हैं

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

उक्त सभी आदिवासियों का धर्म हिन्दू ही है, लेकिन धर्मांतरण के चलते अब यह ईसाई, मुस्लिम और बौद्ध भी हैं। भारत के आदिवासियों का धर्म क्या है, इस संबंध में कई तरह के भ्रम पैदा किए जाते हैं। यह भ्रम 300 वर्षों से जारी आधुनिक काल की राजनीति के चलते हैं। लेकिन सच्चाई ये हैं कि भारत के आदिवासियों का मूल धर्म हिन्दू धर्म ही है,शैव भी है। वे शिवलिंग की पूजा करते हैं। उनके धर्म के देवता शिव के अलावा भैरव, कालिका, दस महाविद्याएं और लोक देवता, कुल देवता, ग्राम देवता हैं।

 

*भारत के उत्तरी क्षेत्र* जम्मू-कश्मीर, उत्तरांचल और हिमाचल प्रदेश में मूल रूप में लेपचा, भूटिया, थारू, बुक्सा, जॉन सारी, खाम्पटी, कनोटा जातियां प्रमुख हैं। पूर्वोत्तर क्षेत्र (असम, मिजोरम, नगालैंड, मेघालय आदि) में लेपचा, भारी, मिसमी, डफला, हमर, कोड़ा, वुकी, लुसाई, चकमा, लखेर, कुकी, पोई, मोनपास, शेरदुक पेस प्रमुख हैं। पूर्वी क्षेत्र (उड़ीसा, झारखंड, संथाल, बंगाल) में जुआंग, खोड़, भूमिज, खरिया, मुंडा, संथाल, बिरहोर हो, कोड़ा, उंराव आदि जातियां प्रमुख हैं। इसमें संथाल सबसे बड़ी जाति है।

 

*पश्चिमी भारत* (गुजरात, राजस्थान, पश्चिमी मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र) में भील, कोली, मीना, टाकणकार, पारधी, कोरकू, पावरा, खासी, सहरिया, आंध, टोकरे कोली, महादेव कोली, मल्हार कोली, टाकणकार आदि प्रमुख है।

 

*दक्षिण भारत में* (केरल, कर्नाटक आदि) कोटा, बगादा, टोडा, कुरूंबा, कादर, चेंचु, पूलियान, नायक, चेट्टी ये प्रमुख हैं। द्वीपीय क्षेत्र में (अंडमान-निकोबार आदि) जारवा, ओन्गे, ग्रेट अंडमानीज, सेंटेनेलीज, शोम्पेंस और बो, जाखा, आदि जातियां प्रमुख है। इनमें से कुछ जातियां जैसे लेपचा, भूटिया आदि उत्तरी भारत की जातियां मंगोल जाति से संबंध रखती हैं। दूसरी ओर केरल, कर्नाटक और द्वीपीय क्षेत्र की कुछ जातियां नीग्रो प्रजाति से संबंध रखती हैं।

 

भारत की प्राचीन सभ्यता में भी शिव और शिवलिंग से जुड़े अवशेष प्राप्त होते हैं, जिससे यह पता चलता है कि प्राचीन भारत के लोग शिव के साथ ही पशुओं और वृक्षों की पूजा भी करते थे। भगवान शिव को आदिदेव, आदिनाथ और आदियोगी कहा जाता है। आदि का अर्थ सबसे प्राचीन प्रारंभिक, प्रथम और आदिम। शिव आदिवासियों के देवता हैं। शिव खुद ही एक आदिवासी थे। आर्यों से संबंध होने के कारण आर्यो ने उन्हें अपने देवों की श्रेणी में रख दिया। आर्य लोग शिव की पूजा नहीं करते थे लेकिन आदिवासियों के देवता तो प्राचीन काल से ही शिव ही रहे हैं।*

 

*मूल रूप से आदिवासियों का अपना धर्म है। ये शिव एवं भैरव के साथ ही प्रकृति पूजक हैं और जंगल, पहाड़, नदियों एवं सूर्य की आराधना करते हैं। इनके अपने अलग लोक देवता, ग्राम देवता और कुल देवता हैं। जैसे नागवंशी आदिवासी और उनकी उप जनजातियां नाग की पूजा करते हैं। सिंधु घाटी की सभ्यता में शिव जैसी पशुओं से घिरी जो मूर्ति मिली है इससे यह सिद्ध होता है कि आदिवासियों का संबंध सिंधु घाटी की सभ्यता से भी था।

सौजन्य: इंटरनेट

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