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अदालत ने चेक बाउंस के दो मामले में आरोपी को दी सजा, धोखाधड़ी के एक मामले में आरोपी हुए बरी

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

झारखंड: पूर्वी सिंहभूम जिला में
आज अदालत ने चेक बाउंस के दो मामले में लोगों को सजा दी है, तो वहीं 420 के मामले में साक्ष्य भाव में आरोपी को बरी कर दिया है।
पहली घटना में प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी बीके भगत के न्यायालय से अभियुक्त सोनारी एरोड्रम निवासी लक्ष्मी देवी को चेक बाउंस के मामले में 1 साल की सजा एवं मुआवजा 3,10,000 शिकायतकर्ता को देना का फैसला सुनाया है। आरोपी के विरुद्ध नया लाइन सोनारी निवासी विजय सिंह के द्वारा न्यायालय में मुकदमा दाखिल की गई थी। आरोप था कि अपने इलाज के लिए एवं बच्चों के पढ़ाई हेतु आरोप ने तीन लाख रुपए विजय सिंह से ली थी। जब विजय सिंह रुपए वापस मंगा तो लक्ष्मी देवी ने 3 लाख का चेक विजय सिंह को दिया था। जब विजय सिंह भुगतान हेतु अपने बैंक में चेक डाला तो, रकम नहीं होने के कारण चेक बाउंस हो गया। इसी मामले को लेकर विजय सिंह की तरफ से अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू एवं बबिता जैन ने अदालत में पक्ष रखा था।
दूसरे घटना में रिचेस कुमार प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय से अभियुक्त श्याम लाल यादव उर्फ मिठू यादव को चेक बाउंस के मामले में 1 साल की सजा एवं 500 रुपए का जुर्माना एवं 63800 रुपए मुआवजा के रूप में शिकायतकर्ता को देने का निर्देश दिया है। आरोपी के विरुद्ध बिष्टुपुर निवासी अब्दुल मन्नान टेलर मास्टर के द्वारा न्यायालय में एक शिकायत वाद दाखिल किया गया था। जिसमें मिट्ठू यादव के विरुद्ध आरोप था कि सोनारी क्षेत्र में टेलर मास्टर अब्दुल मन्नान को मकान दिलवाने के लिए अग्रिम राशि ₹300000 मिठू यादव लिए थे। मकान नहीं मिलने पर टेलर मास्टर अपना रुपए वापस मांगने पर 56000 का चेक दे दिए और बाकी पैसा बाद में वापस करने का वादा किया था। परंतु शिकायतकर्ता अब्दुल मन्नान भुगतान के लिए उपरोक्त चेक अपने बैंक में डाला तो चेक कारण बाउंस हो गया। इसी मामले को लेकर शिकायतकर्ता के अधिवक्ता न्यायालय के समक्ष अपना पक्ष रखा है। शिकायतकर्ता के अधिवक्ता विक्रम सिंह बबिता जैन उपस्थित थे।
तीसरे घटना में प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी पवन कुमार के न्यायालय से अभियुक्त राजन सोनकर ,ओम प्रकाश साहू, विकास सिंह, कमल अग्रवाल, राजेंद्र सोनकर, अजय पंडित साक्ष्य विहीन होने कारण धारा 427 एवं 420 आईपीसी के प्राथमिक की दर्ज मामले में रिहा कर दिया गया। इनके विरुद्ध दिनांक 19 दिसंबर 2012 को सरकारी राज्य कर्मी अंचल कार्यालय के जगदीश चंद्र बांनारा के द्वारा अपने अधिकारी सपन कुमार मिश्रा, गौतम हजरा, सीताराम सिंह, विशेष पदाधिकारी दयानंद कर्जी, प्रखंड विकास पदाधिकारी के साथ वार्ड नंबर 2 में जाकर जांच पड़ताल किया गया था।उस दौरान पता चला कि खाता नंबर 56 अनुवाद बिहार सरकार झारखंड की भूमि पर गैर कानूनी ढंग से अवैध निजी स्वार्थ के लिए कब्जा कर अतिक्रमण कर अपना-अपना मकान बना लिया है। जुगसलाई पुलिस के द्वारा आरोप पत्र समर्पित किया गया। परंतु 11 वर्षों तक अभियोजन पक्ष के द्वारा न्यायालय में एक भी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाया। इसका लाभ अभियुक्त को मिला। अभियुक्त की ओर से अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू इंद्रनील चटर्जी एवं बबिता जैन ने अपना पक्ष रखा था।

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