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जल,जंगल,जमीन अपने हक की लड़ाई में शहीद हुए गुवा के 11 आंदोलनकारी की कुर्बानी को कभी भुलाया नहीं जा सकता है—— पश्चिम सिंहभूम पूर्व सांसद सह झामुमों उल्लगुलान पार्टी के सुप्रीमों कृष्णा मार्डी

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

झारखंड: पश्चिम सिंहभूम जिला में
8 सितंबर 1980 गुवा गोलीकांड में आंदोलनकारियों ने जल जंगल जमीन अपने हक की लड़ाई में 11 आदिवासी शहीद हो गए थे। यह आंदोलन ऐतिहासिक रहा है। यह बातें गुवा में 1980 में गुवा शहीद स्थल संस्थापक व पश्चिम सिंहभूम पूर्व सांसद सह झामुमों उल्लगुलान पार्टी के सुप्रीमों कृष्णा मार्डी ने साक्षात्कार में कहा। उन्होंने आगे कहा कि शहीदों की कुर्बानी को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। प्रत्येक साल 8 सितंबर को गुवा में कोल्हान के सभी लोग शहीद दिवस मनाते आ रहे हैं। यह घटना पूरे देश की जनता यादगार बनती जा रही है। इस घटना में निर्मम आदिवासियों को गोलियों से भून दिया गया था। यह घटना बहुत ही निंदनीय है। शहीदों के शहादत एवं बलिदान से ही झारखंड बन पाया है। लड़ाई अभी बाकी है। झारखंड राज निमार्ण तब तक सार्थक नहीं होगा जब तक की पूरे झारखंडी बेरोजगार की मार से मुक्त नहीं होते। 8 सितंबर 1980 को गुवा में कई लोगों ने अपना बलिदान दिया है। इन्होंने अपना बलिदान झारखंड का अस्तित्व बचाने एवं हक की लड़ाई को लेकर दिया है।पूर्व सांसद सह झामुमों उल्लगुलान पार्टी के सुप्रीमों कृष्णा मार्डी ने साक्षात्कार में आगे कहा कि झारखंड राज्य तो बन गया और उन्हें आगे ले जाने की जरूरत है। इन लोगों का बलिदान का सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगा जब झारखंड पूरी तरह से आगे बढ़ेगा। जब तक यहां के बेरोजगारों को रोजगार नहीं मिल जाता। यहां के नौजवानों के हाथों में रोजगार होगा व यहाँ बच्चे शिक्षित होंगे तभी हम सुनहरे पल का झारखंड की परिकल्पना कर सकते हैं। झारखंड सरकार से हमारी मांग है कि पूरे झारखंड में ऐसे जहां कहीं भी शहीद स्थल है वैसे स्थानों को विशेष दर्जा दी जाए और उनका सौंदर्यीकरण किया जाए। ताकि आने वाले पीढ़ी को हम बता सकें कि इन लोगों ने अपना बलिदान देकर कैसे अपनी आहुति को देखकर झारखंड राज्य की परिकल्पना की है और अपने हक की लड़ाई को लेकर शहीद हुए हैं।

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