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धार्मिक न्याय बोर्ड द्वारा गठित कमेटी का विरोध

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

झारखंड:चतरा जिला स्थित भद्रकाली मंदिर परिसर में गुरुवार को मंदिर प्रबंधन समिति की सदस्यों की बैठक हुई। इस दौरान मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्य ऋषि बाला ने कहा कि भद्रकाली मंदिर को धार्मिक न्यास बोर्ड के अंदर लाना गलत है, क्योंकि इस मंदिर का वर्षो से रख-रखाव निजी हाथों और प्रबंधन समिति से हुआ है। झारखंड गठन के बाद से कभी भी न्यास बोर्ड के कोई भी लोग देखने तक नहीं आये, पर आज जब मंदिर को सुचारू रूप से चलाया जा रहा है, तब एक नई कमिटी बना कर बोर्ड द्वारा घोषणा करना जो सारा सर गलत है। झारखंड धार्मिक न्यास बोर्ड ने मनमाने ढंग से भद्रकाली मंदिर को बिना कोई बैठक या कोई सूचना जबरन नयी कमिटी का गठन कर दिया है। विगत सालों पहले जब भद्रकाली मंदिर से मूर्ति चोरी हुई, जब मंदिर जर्जर हालत में था तो कोई भी खबर नहीं ली गई, कि मंदिर बन रहा है, मंदिर टूट रहा है, या जर्जर स्थिति में है। आज इसकी पूरी देखरेख की जिम्मेदारी अपने स्तर से मंदिर प्रबंधन समिति कर रही है तो झारखंड सरकार को तकलीफ हो रही है। मंदिर के रखरखाव पर लाखों रुपये खर्च की जा रही है। इसकी देखरेख मंदिर प्रबंधन समिति के संरक्षण में किया जा रहा है, परंतु धार्मिक न्यास बोर्ड के द्वारा निबंधन का बहाना करते हुए नई कमेटी की घोषणा कर दी गई जो गलत है। प्रबंधन समिति के सदस्य सुरेंद्र सिंह ने कहा कि यहां बुद्धिजीवी, समाजसेवी, रैयत, दुकानदारसंघ, व्यपार संघ, मंदिर के पुजारीगण, एवं प्रबंधन समिति अपने आर्थिक एवं शाररिक सहयोग से मंदिर कार्यो का निर्वहन करते आ रहे है। प्रसाशनिक व्यवस्था के द्वारा मंदिर की पूरी विधि व्यवस्था एवं सुरक्षा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यहां बेशकीमती और बहुमुल्य मूर्तियां स्थापित है। जिसे प्रसाशनिक व्यवस्था के बिना सुरक्षा की कल्पना भी नहीं किया जा सकता है। मंदिर प्रबंधन समिति का निर्माण एक तय राशि देकर किया गया है। उन्होंने कहा कि आज तक भद्रकाली मंदिर के प्रति धार्मिक न्यास बोर्ड के द्वारा किसी तरह का सहयोग एवं रुची नहीं रहा है। ना ही मंदिर प्रबंधन समिति से कोई विचार-विमर्श किया गया है। जो समझ से परे है। प्रबंधन समिति के सदस्यों ने धार्मिक न्यास बोर्ड के द्वारा गठित कमेटी का विरोध किया है। गौरतलब है कि ऐतिहासिक भद्रकाली मंदिर का संचालन मंदिर प्रबंधन समिति द्वारा किया जा रहा था। सदर अनुमंडल पदाधिकारी इसके पदेन अध्यक्ष और इटखोरी सीओ इसके पदेन सचिव थे।

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