करमा पूजा भावी पीढ़ी के लिए सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करता है, राज्यपाल
न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड: राज्यपाल-सह-झारखण्ड राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति सी.पी. राधाकृष्णन ने आज रांची विश्वविद्यालय, रांची में आयोजित ‘करम महोत्सव’ में भाग लिया। उन्होंने कहा कि “करमा पूजा,” जिसे ‘करमा पर्व’ के रूप में भी जाना जाता है, हमारे राज्य में मनाया जाने वाला एक अहम त्योहार है, जो देश की समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को दर्शाता है और इसे एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक संरक्षित करने में मदद करता है जिस प्रकार केला का पेड़ अपने पीछे नन्हे पौधा को छोड़ जाता है, उसी प्रकार यह उत्सव भी भावी पीढ़ी के लिए सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करता है। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति बहुत जीवंत है। यहाँ विभिन्न धर्मों, समुदायों, भाषाओं और संस्कृतियों के लोग रहते हैं। हमारा देश अनेकता में एकता का अनुपम व उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है।
राज्यपाल महोदय ने कहा कि यह पर्व प्रकृति और मानव के बीच के गहरे व अटूट रिश्ते को दर्शाता है। हमारे जनजातीय भाई-बहन सही मायने में प्रकृति के संरक्षक हैं। प्रकृति की रक्षा करने का बोध उनके हृदय में है। वे प्रकृति का मान-सम्मान करते हैं एवं पूरी दुनिया को इसके संरक्षण का संदेश देते हैं। उन्होंने कहा कि आज ग्लोबल वार्मिंग के कारण पूरा विश्व पर्यावरण संबंधी विभिन्न चुनैतियों का सामना कर रहा है, ऐसे में करमा पूजा पूरे विश्व के लिए एक बेहतर उदाहरण प्रस्तुत करता है।
राज्यपाल महोदय ने इस अवसर पर झारखंड के समृद्ध भविष्य का आशीर्वाद मांगते हुए सभी के खुशहाली की कामना की।
न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड: राज्यपाल-सह-झारखण्ड राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति सी.पी. राधाकृष्णन ने आज रांची विश्वविद्यालय, रांची में आयोजित ‘करम महोत्सव’ में भाग लिया। उन्होंने कहा कि “करमा पूजा,” जिसे ‘करमा पर्व’ के रूप में भी जाना जाता है, हमारे राज्य में मनाया जाने वाला एक अहम त्योहार है, जो देश की समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को दर्शाता है और इसे एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक संरक्षित करने में मदद करता है जिस प्रकार केला का पेड़ अपने पीछे नन्हे पौधा को छोड़ जाता है, उसी प्रकार यह उत्सव भी भावी पीढ़ी के लिए सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करता है। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति बहुत जीवंत है। यहां विभिन्न धर्मों, समुदायों, भाषाओं और संस्कृतियों के लोग रहते हैं। हमारा देश अनेकता में एकता का अनुपम व उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है।
राज्यपाल महोदय ने कहा कि यह पर्व प्रकृति और मानव के बीच के गहरे व अटूट रिश्ते को दर्शाता है। हमारे जनजातीय भाई-बहन सही मायने में प्रकृति के संरक्षक हैं। प्रकृति की रक्षा करने का बोध उनके हृदय में है। वे प्रकृति का मान-सम्मान करते हैं एवं पूरी दुनिया को इसके संरक्षण का संदेश देते हैं। उन्होंने कहा कि आज ग्लोबल वार्मिंग के कारण पूरा विश्व पर्यावरण संबंधी विभिन्न चुनैतियों का सामना कर रहा है, ऐसे में करमा पूजा पूरे विश्व के लिए एक बेहतर उदाहरण प्रस्तुत करता है।
राज्यपाल महोदय ने इस अवसर पर झारखंड के समृद्ध भविष्य का आशीर्वाद मांगते हुए सभी के खुशहाली की कामना की।