पर्यावरण पर बदलते मौसम चक्र में परिवर्तन को लेकर संघ ने बैठक की
न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड: राजधानी रांची में पी. टी. पी.एस. के कटिया पंचमंदिर पंचायत भावन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पर्यावरण गतिविधि के अखिल भारतीय प्रमुख राकेश जैन का पतरातू और आसपास के रहने वाले प्रबुद्ध नागरिको के समक्ष पर्यावरण विषय पर चर्चा की। इस दौरान पर्यावरण पर बदलते मौसम चक्र में परिवर्तन आदि का पड़ते बुरा प्रभाव पर चिंता व्यक्त की गई।
कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ।
वक्ता महोदय ने कहा कि संघ स्थापना काल के प्रथम खंड में सुभाष चन्द्र बोस और संघ संस्थापक डा केशव बलिराम हेडगेवार जी के साथ वार्तालाप में आपने कहा कि सॉन्ग कुछ नहीं करेगा किंतु संघ के स्वयंसेवक कुछ छोड़ेंगे नहीं। कालांतर में संघ से प्रेरणा लेकर संघ के कुछ अनुसांगिक संगठन बने जिसमें विश्व हिंदू परिषद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद अखिल भारतीय मजदूर संघ राष्ट्रीय शिक्षा संगत राजनीतिक क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी एवं अन्य अन्य लगभग 40 संगठन बने किंतु कालांतर में 8 गतिविधियां बनाई गई जिसमें पर्यावरण को संरक्षण भू संवर्धन परिवार प्रबोधन आदि है जो संघ के सीधे नियंत्रण में है। पर्यावरण संरक्षण आज वैश्विक समस्या है। पर्यावरण पर बदलते मौसम चक्र में परिवर्तन आदि का बुरा प्रभाव पड़ा है जून 2013 में उत्तराखंड की त्रासदी 2018 में केरल की त्रासदी इन सब का एकमात्र कारण पेड़ों की अंधाधुंध कटाई है। पेड़ों की अंदाज में कटाई के कारण संतुलन बढ़ता है उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि आज विश्व में प्रति व्यक्ति लगभग 422 पेड़ है जबकि भारत में मात्र एक व्यक्ति पर 28 पेड़ ही आता है जो दैनिक स्थिति में है इसलिए हमें अधिक से अधिक संख्या में पेड़ लगाना और संरक्षित करना चाहिए जंगल को काटने से रोकने के लिए हमें आवश्यक कदम उठाने चाहिए और साथ ही साथ पेड़ लगाने और उनको संरक्षित करने के उपाय करने चाहिए और यह स्वयं ही अपनी प्रेरणा से कर सकते हैं वक्ता महोदय ने चित्रकूट का उदाहरण देते हुए कहा कि तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम को चित्रकूट से बार-बार निमंत्रण मिलता था कि आप एक बार चित्रकूट आए और हमारी कोशिश को देखें डॉक्टर कलाम ने अपने संस्मरण में कहा है कि उन्होंने 40 मिनट का समय दिया किंतु वहां के पर्यावरण संतुलन के प्रयोग को देखकर मां संतुष्ट हुआ और लगभग चार घंटे वहां पर उन्होंने। अंधेरी ईस्ट का उदाहरण देते हुए वक्ता महोदय ने कहा कि एक विद्यालय ने रेन वाटर हार्वेस्टिंग से लगभग करोड़ लीटर पानी बचाया है और भूजल को पुन स्थापित किया है।
उन्होंने कहा कि लगभग 100 वर्ष पहले गुजरात के एक संत ने कहा कि आप जल बचाओ जल आपको बचाएगा, उनकी उनकी वाणी अक्षरशा: सत्य साबित हो रही है। राजस्थान के राजेंद्र सिंह का उदाहरण देते हुए कहा कि चेक डैम के माध्यम से राजस्थान और गुजरात में करोड़ों लीटर पानी बचाया है।
वर्तमान समस्या पर उन्होंने बताया कि अभी सबसे बड़ी समस्या पॉलिथीन की है आज पॉलिथीन पर विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है उन्होंने जानकारी दीजिए दिल्ली जैसे महानगर में कूड़े के इतने बड़े पहाड़ है जिसकी ऊंचाई कुतुब मीनार से लगभग दोगुनी ऊंची है और 70 एकड़ में फैला यह विशाल पहाड़ पर्यावरण के लिए कितना बड़ा खतरा है इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। पॉलिथीन का उपयोग बंद तो नहीं हो सकता लेकिन इसको कम से काम किया जा सकता है और पर्यावरण को बचाने में छोटा सा प्रयास आवश्यक है।
जल जंगल जमीन जन और जानवर इनमें जा सब में संयुक्त रूप से है और इन सब का बचाव पेड़ से हो सकता है पेड़ हमें केवल ऑक्सीजन ही नहीं बल्कि हमारे भोजन इमारती लकड़ी और जीवन से लेकर मरण तक हमारे लिए उपयोगी है इसलिए हमें केवल पेड़ का उपयोग ही नहीं करना चाहिए इसको संरक्षित और सुरक्षित करने के प्रयास भी करने चाहिए। पॉलिथीन का प्रयोग नुकसानदायक तो है किंतु हमारे वैज्ञानिकों ने इसके कुछ लाभ भी गिन हैं आजकल पॉलिथीन से कपड़े और सड़के बनाई जाने लगी है।
इस प्रबुद्ध चर्चा वर्ग में राष्ट्रीय ग्राम विकास टोली के सिद्धिनाथ सिंह , सच्चितानंद, प्रांत पयावरण प्रमुख, पतरातू नगर के संघचालक मा. जयनंदन शर्मा के साथ, श्री संजीत , जिला पर्यावरण प्रमुख भुनेश्वर ठाकुर , धनंजय सिंह जी, उमा शंकर जी, निर्मल जैन, सुनील पाण्डेय, डा. संजय सिंह, संजय रजक और किशोर महतो एवम अन्य बड़ी संख्या में प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित हुए।