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इजरायल और हमास को लेकर देश में भी छिड़ा वाक् युद्ध….. जहरिले बोल पर लगे लगाम…. ‘गाजा के हाथ, फलस्तीन जिंदाबाद’, इजरायल हमास की जंग के बीच बोले असदुद्दीन ओवैसी

न्यूज़ लहर संवाददाता

 

नई दिल्ली: इजरायल में फलस्तीन के चरमपंथी संगठन हमास के लड़ाकों के हमले के बाद जंग छीड़ा हुआ। भारत ने आंतकी हमला को लेकर इजरायल को सहयोग करने और आंतकी हमले की नींदा की है। वही पूरी दुनिया इजरायल और फलस्तीन के समर्थन को लेकर अलग-अलग खेमे में बंट गई है।इस बीच भारत ने जहां इजरायल का समर्थन किया है, वहीं देश के कुछ राजनेताओं ने खुले तौर पर फलस्तीन का समर्थन करना शुरू कर दिया है। इसको लेकर देश के अंदर भी वाक्युद्ध छिड़ गया है।जिस पर लगाम लगाने की आवश्यकता है।इस युद्ध में सबसे बड़ा नाम एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी और भी बहुत सारे मुस्लिम समुदाय के लोग है।

माइक्रो ब्लॉगिंग साइट एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर बुधवार (11 अक्टूबर) को एक पोस्ट कर असदुद्दीन ओवैसी ने फलस्तीन जिंदाबाद के नारे लगाए हैं। हालांकि, इसके साथ गाजा पट्टी की अक्सा मस्जिद की तस्वीर भी लगाई है।अपने ट्वीट में ओवैसी ने लिखा है, “गाजा का हाथ, फलस्तीन जिंदाबाद। वायलेंस मुर्दाबाद।”

इस पर रुख स्पष्ट करते हुए ओवैसी ने लिखा है कि जिस वायलेंस मुर्दाबाद की बात वह कर रहे हैं, वह मुख्य रूप से इजरायल और उसके सहयोगी संगठनों और समूहों की ओर से भड़काई गई है।

हमास के लड़ाकों की बर्बरता

उनके इस पोस्ट पर यूजर्स खूब प्रतिक्रिया दे रहे हैं।कुछ लोग उनका समर्थन कर रहे हैं तो कुछ खरी खोटी सुनाते हुए उन पर मुस्लिम होने के नाते हमास के लड़ाकों की क्रूरता को नजरअंदाज कर आतंकवाद के समर्थन के आरोप लगा रहे हैं।

आपको बता दें कि गत शनिवार (7 अक्टूबर) को हमास के लड़ाकों ने गाजा पट्टी के रास्ते जल, थल और आकाश से इजरायल में घुसकर निर्दोष नागरिकों पर क्रूर हमले किए थे।इसके जो वीडियो सामने आए हैं, उसमें देखा जा सकता है कहीं लड़ाके बुजुर्ग नागरिकों को मौत के घाट उतार रहे हैं तो कहीं मां-बाप के सामने बेटी की हत्या कर रहे हैं।कहीं युवतियों को मौत के घाट उतार कर उनके नंगे शवों को घूमा रहे हैं और थूक रहे हैं।तो कहीं भागते कुत्ते को भी गोलियों से भून दे रहे हैं।हमास के हमले के बाद इजरायली सेना ने पटवार किया है जो अब भी जारी हैं। दोनों और से कमोबेश 2500 से अधिक लोगों के मारे जाने के दावे किए जा रहे हैं।

इधर, जानकार बताते हैं कि देश में रहकर देश की नीति के विरुद्ध उठ रहे आवाज पर लगाम लगाने की आवश्यकता है, अन्यथा देश भीतर के लिए घातक होगा।आंतकि गति विधियां बढ़ेगी।

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