Regional

वन और विद्युत विभाग एक दूसरे पर दोषारोपण छोड़ें,जिला प्रशासन डीप फॉरेस्ट की करें व्यवस्था, तभी रुकेगी हाथियों का मौत का सिलसिला पूर्व आयुक्त

न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड: पूर्वी सिंहभूम जिला स्थित मुसाबनी वन क्षेत्र में पांच हाथियों की दर्दनाक मौत से कोल्हान के पूर्व आयुक्त सह भाजपा नेता विजय सिंह मर्माहत है। उन्होंने एक बयान जारी कर कहा है कि वन और विद्युत विभाग एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ने का काम बंद करें।वही जिला के उपायुक्त और राज्य सरकार को एक ठोस नीति के बनानी होगी । तभी हाथियों की मौत का सिलसिला थमेगा। हाथियों के लिए घने जंगल की व्यवस्था होनी चाहिए। जब हाथी रिहायशी इलाकों में नहीं आयेगी, तो लोगों को नुक्सान भी नहीं होगा। उन्होंने बताया कि पांच हाथियों की मौत के बाद आसपास के गांव के लोगों से उन्होंने बात की जिससे उन्हें पता चला कि यह हाथियों का झुंड ओड़िशा की ओर से घाटशिला मुसाबनी की ओर आया था। चुकी घने जंगल का क्षेत्रफल बहुत कम है, इसलिए रिहायशी इलाका की ओर घूम रहे थे।गांव के लोग फटाका फोड़ कर उन्हें पुनः जंगल की ओर भेज दिया। वहीं वन विभाग ने भी उन हाथियों को ओड़िशा की ओर भेजने का प्रयास किया। वन विभाग के इस प्रयास से हाथी पैनिक हो गए और उड़ीसा की जगह वह गलत दिशा की ओर प्रस्थान कर गए। जिससे 33 हजार किलो वाट के हाई टेंशन तार की चपेट में आकर मृत्यु को प्राप्त हुए, जो दुखद है। यह घटना तभी संभलेगा जब आम लोग जंगलों की काटाई नहीं रोकेंगे। उन्होंने कहा कि पूर्वी सिंहभूम के उपयुक्त को चाहिए कि वे वन और विद्युत विभाग के अधिकारियों को एक साथ बैठकर हाथियों को बचाने के लिए रणनीति बनाएं। इसके लिए राज्य सरकार को भी ठोस पहल करते हुए नीति बनाने की आवश्यकता है। हालांकि राज्य सरकार ने जंगली हाथियों के लिए अपने नीतिगत फैसले में उनके आहार के लिए बहुत से भोजन की व्यवस्था की है लेकिन यह सब कागज़ों तक ही सीमित है। घने जंगल समाप्त हो रहें हैं।हाथियों की संख्या अधिक है। वे बार-बार रियाज इलाकों की ओर प्रस्थान कर रहे हैं।जिससे हाथियों का मौत का सिलसिला जारी है।अब आवश्यकता है कि राज्य सरकार और जिला प्रशासन अपने स्तर पर एक नीतिगत फैसला लेते हुए उनके रहने की व्यवस्था करें।जिससे हाथियों की जान बचाई जा सके। अगर इस पर जल्द ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो यह घटनाएं लगातार होती रहेगी। पूर्व आयुक्त ने कहा कि वे अपने स्तर से एक लाख पौधे लगाने का काम कर रहे हैं।अब तक बीस हजार पौधे लगाए गए हैं।वे चाहते हैं कि अन्य लोग भी पौधे लगाए। इससे प्रदूषण नियंत्रण होगा और घने जंगल लगने से हाथी रिहायशी इलाकों में नहीं आएंगे।

Related Posts