कीर्तन का महत्व: शारीरिक और मानसिक शक्ति का एकीकरण**
न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड: सरायकेला खरसावां जिला स्थित आदित्यपुर में आयोजित आनंद मार्ग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बताया गया कि कीर्तन करने से मनुष्य की शारीरिक शक्ति बढ़ती है, लेकिन इसके साथ ही मानसिक शक्ति में भी एक ही भाव धारा में वृद्धि होती है। कीर्तन का आदान-प्रदान मानव शरीर, आत्मा, और मन को एक पवित्र और सकारात्मक स्थिति में ले आता है।
मानव शरीर का साकारात्मक संबंध धार्मिक कीर्तन से होने से उसका मन पवित्र होता है और उसकी आत्मा में भी शांति और प्रेरणा का आभास होता है। शरीर, आत्मा, और मन के एकीकरण के कारण मनुष्य अध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति करता है।
आनंद मार्ग प्रचारक संघ के आयोजन में हुए “बाबा नाम केवलम” अखंड कीर्तन और आंवला वितरण के माध्यम से लोगों में सामूहिक भावना का उत्थान हुआ और उन्होंने इसे हरि कीर्तन के महत्वपूर्ण तत्व के रूप में समझाया। कीर्तन में एक जूट होकर लोग न केवल शारीरिक शक्ति को बढ़ाते हैं बल्कि मानसिक शक्ति को भी समृद्धि प्रदान करते हैं।