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डीएवी गुआ में स्वामी श्रद्धानंद के बलिदान दिवस मनाया गया….. वाद विवाद प्रतियोगिता में दक्षा मिश्रा प्रथम अन्वेशा साहू द्वितीय एव शुभ सिन्हा तृतीय रहा….. शिक्षा एवं देश के उत्थान के प्रति अपने आप को समर्पित स्वामी श्रद्धानंद का बलिदान कतिपय भुलाया नहीं जा सकता है – -प्राचार्या उषा राय    

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

झारखंड: पश्चिम सिंहभूम जिला स्थित डीएवी गुवा की प्राचार्या उषा राय नें

स्वामी श्रद्धानंद के बलिदान दिवस के अवसर पर डीएवी गुआ में संस्था के शिक्षकों एवं बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षण संस्थान के कारण देश बचा हुआ है।समाज को बिखरने में समय नहीं लगता है ।शिक्षा के माध्यम से ही समाज की अस्मिता को बचाए रखा जा सकता है । शिक्षक समाज के निर्माता है । देश के निर्माण में डीएवी संस्था का अभिन्न योगदान है शिक्षक एवं शिक्षण का दायित्व विस्तृत होता है। उन्होने कहा कि स्वामी श्रद्धानंद का बलिदान कतिपय भुलाया नहीं जा सकता है ।उन्होंने शिक्षा एवं देश के उत्थान के प्रति अपने आप को समर्पित किया। उनके जीवन से मानव को प्रेरणा ले उनके अनुकरणीय पथ पर चलना चाहिए।डीएवी गुवा की प्राचार्या उषा राय ने दयानंद एंग्लो वैदिक पब्लिक स्कूल गुआ में सेवारत शिक्षकों की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए कही कि डीएवी संस्था स्कूलों के माध्यम से शिक्षा का प्रकाश पूरे देश में फैल रहा है । विद्यालय के शिक्षकों को प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा कि आधुनिकता के दौर में समाज को रचनात्मक दिशा में ले जाने के लिए सदैव समर्पित हो कार्य करे एवं बच्चों के स्वर्णिम भविष्य के निर्माण में अतुलनीय सहयोग दे ।मौके पर बच्चों की वाद विवाद प्रतियोगिता में दक्षा मिश्रा प्रथम अन्वेशा साहू द्वितीय एव शुभ सिन्हा तृतीय रहा ।

उक्त अवसर डीएवी गुवा की प्राचार्या उषा राय ने शिक्षकों एवं बच्चों के साथ संयुक्त रुप से स्वामी श्रद्धानंद के चित्र पर दीप प्रज्वलित एवं पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम की शुरुआत की ।इस अवसर पर विद्यालय के संगीत शिक्षक योगेंद्र त्रिपाठी ने स्वागत गीत की प्रस्तुति कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वरीय इतिहास शिक्षक पीके आचार्या ने कहा कि स्वामी श्रद्धानंद के अनुकरणीय मार्ग पर चल देश के विकास के लिए बच्चों को पूर्णता जवाबदेही के साथ तैयार किया जाएगा।इस अवसर पर मंच संचालन की भूमिका विद्यालय के धर्म शिक्षक आशुतोष शास्त्री ने कर देश के लिए समर्पित दिव्य आत्मा स्वामी श्रद्धानन्द के प्रति कहा कि वे मरते दम तक समाज के उत्थान के लिए काम करते रहे थे ।वरीय गणित शिक्षक अनन्त कु उपाध्याय ने कहा कि जेम्स रैमसे मैकडोनाल्ड भारत के गुरुकुल भ्रमण के लेख में प्रधानमंत्री बनने के बाद लिखा था कि यदि किसी को ईसा मसीह का दर्शन करना हो तो स्वामी श्रद्धनन्द जी का दर्शन कर लेना। 1917 में मायापुर आश्रम में वे संन्यास धारण किए थे तथा 1919 में महात्मा गांधी से मिले थे । श्रद्धनन्द जी 23 दिसंबर 1926 को अपने नश्वर शरीर को छोड़ दिया। देश हित गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की स्थापना 1902 में करने के लिए वे सदैव याद किए जाते रहेंगे ।सच्चाई यह है कि 23 दिसम्बर 1926 को नया बाजार स्थित उनके निवास स्थान पर अब्दुल रशीद नामक एक उन्मादी धर्म-चर्चा के बहाने उनके कक्ष में प्रवेश करके गोली मारकर उक्त महान विभूति की हत्या कर दी थी, उसे बाद में फांसी की सजा हुई। कार्येक्रम में शिक्षिका ज्योति सिन्हा, भास्कर चंद्र दास, विकास मिश्रा, अंजन सेन, अनिरुद्ध दता, जयमंगल साव, पुष्पांजलि नायक, पुष्पांजलि पंडित, अरविन्दों साहू, अन्नपूर्णा साहू, अनिषा राय चौधरी, बालगोपाल सिंह, अनीला एक्का व अन्य दर्जनों शिक्षक एवं शिक्षकों की उपस्तिथि घंटो बनी रही ।

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