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आनंद मार्ग जागृति गदरा में नीलकंठ दिवस: मुसीबतों को उपहार में स्वीकार करने का संदेश*

न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड: पूर्वी सिंहभूम जिला स्थित जमशेदपुर में आनंद मार्ग प्रचारक संघ ने आनंद मार्ग जागृति गदरा में नीलकंठ दिवस मनाया। इस अवसर पर 3 घंटे का “बाबा नाम केवलम” अखंड कीर्तन का आयोजन किया गया। गदरा के देहात क्षेत्र में 500 नारायण के बीच घूम-घूम कर खीर एवं सुपाच्य भोजन बांटा गया। साथ ही, देहात क्षेत्र में लगभग 600 पौधों का विवरण भी किया गया, जिसमें आम, कटहल, अमरूद, अनार तथा अन्य पौधे शामिल थे।

श्री श्री आनंदमूर्ति जी के जीवन की महकवि:
12 फरवरी 1973 को आनंद मार्ग के संस्थापक गुरु श्री श्री आनंदमूर्ति जी को बिहार के पटना बांकीपुर सेंट्रल जेल में इंदिरा की तानाशाही कांग्रेस सरकार के द्वारा चिकित्सा के नाम पर दवा के रूप में जहर दिया गया था। इस घटना के बावजूद, श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने विष का पान कर दुनिया को यह बतलाया कि मुसीबतों को उपहार के रूप में स्वीकार करना हमें साहस और सहानुभूति का स्रोत प्रदान करता है। इस दिन को आनंद मार्गी पूरे विश्व में नीलकंठ दिवस के रूप में मनाती है।

सुख और दुख का सामंजस्यिक अंतर:
आचार्य संपूर्णानंद अवधूत ने इस अवसर पर श्री श्री आनंदमूर्ति जी के जीवन के विषय में बताते हुए कहा कि सुख और दुख दोनों ही जीवन के अभिन्न पहलु हैं। मुसीबतों का सामना करके ही नैतिकवान पुरुष अपने जीवन में महत्वपूर्ण कार्यों को पूरा कर सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि सुख रहने से ही जीवन का अनुभव संपन्न नहीं हो सकता, दुख का आना मनुष्य को और उसकी पीढ़ी को मुसीबतों का सामना करने का सीखने का मौका प्रदान करता है।*

आनंद मार्ग जागृति गदरा ने इस सामजिक संदेश को बढ़ावा देने के लिए नीलकंठ दिवस का आयोजन किया, जिससे समृद्धि, सहानुभूति, और साहस का संदेश समाज तक पहुंचा।

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