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खदानों के जंगल क्षेत्रों में जंगली हाथियों की अचानक बढ़ी गतिविधियां गंभीर चिंता का विषय बना —————– हाथी टाटा स्टील एवं सेल की खदान क्षेत्रों मे कोहराम मचा रहे हैं – अनील महतो

न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड: पश्चिम सिंहभूम जिला स्थित सारंडा रिजर्व वन क्षेत्र स्थित टाटा स्टील की विजय-टू एवं सेल की विभिन्न खदानों के आसपास के जंगल क्षेत्रों में पिछले एक वर्ष से जंगली हाथियों की अचानक बढ़ी गतिविधियां गंभीर चिंता का विषय बनती जा रही है ।
उक्त तथ्यों को आजसू पार्टी केन्द्रीय सचिव अनील महतो ने बताते हुए कहा कि हाथियों की गतिविधियों ने ग्रामीणों से अधिक इन खदान प्रबंधनों की परेशानी व तनाव निरंतर बढ़ा रही है । टाटा स्टील एवं सेल की सारंडा स्थित उक्त खदान से सटे जंगलों में हाथी निरंतर अपना आशियाना बनाकर एवं खदान से प्रभावित गांव क्षेत्रों मे कोहराम मचा रहे हैं।इस क्षेत्र के जंगल से हाथियों को भगाने के लिये बीते महीने वन विभाग को बंगाल की विशेषज्ञ टीम को बुलाना पड़ा था ।अब पुनः हाथी आकर टाटा स्टील व सेल की खदानों के आसपास के गांवों व जंगलों में हाथी उत्पात मचाकर अनेक गंभीर सवाल खडा़ कर दिया है ।आजसू पार्टी केन्द्रीय सचिव अनील महतो के अनुसार सारंडा भारत का पहला नोटिफाईड एलिफैंट (हाथी) रिजर्व- ए क्षेत्र है । इसे हाथियों का वास स्थल कहा जाता है ।हाथी अपने वास स्थल सारंडा से विचरण करने कोल्हान, पोड़ाहाट, दलमा आदि जंगल होते धालभूमगढ़ के जंगल तक जाते एवं पुनः वहां से अपने कॉरिडोर से सारंडा वापस आते है ।तब हाथी विभिन्न जंगलों के गांवों में उत्पात एंव जान-माल का नुकसान नहीं पहुंचाते थे ।अब ऐसा क्या बदलाव हुआ जो हाथी हिंसा का रूप धारण कर जान-माल का भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं! यह प्रश्न आज सभी के सामने खड़ा है ।विकास और रोजगार के नाम पर सारंडा में औद्योगीकरण, खनन, सड़कों का जाल आदि बढा़ने, दिन-रात भारी मशीनों एंव वाहनों के चलने से होने वाली कंपन दूर बैठे हाथियों का बाईलौजिकल क्लौक को प्रभावित कर रहा है । जबकि सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद रिजर्व वन क्षेत्र में भारी मशीनों एंव वाहनों का परिचालन पर प्रतिबंध है ।अनियंत्रित खनन, टाटा स्टील की खदानों से लाखों टन फाइन्स चेकडैम को तोड़कर बहना, अवैध इन्क्रोचमेंट से होने वाला भूमि धसान आदि वजहों से सारंडा की तमाम प्राकृतिक जलश्रोत एंव कारो-कोयना जैसी बडी़ नदियों का अस्तित्व खत्म होते जा रहा है, जिससे हाथियों के सामने पानी व तमाम प्रकार की समस्या उत्पन्न हो रही है ।

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