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सरकार अनाज भी दे रही है तो उसमें कंकड़ पत्थर मिलाकर         

 

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

 

झारखंड: पश्चिम सिंहभूम जिला में सरकार गरीबों को अनाज भी दे रही है तो वह भी कंकड़-पत्थर मिलाकर, जिसे सारंडा के ग्रामीणों को न उगलते, न निगलते बन रहा है। उल्लेखनीय है कि सरकार जन वितरण प्रणाली के दुकानों के माध्यम से विभिन्न प्रकार के राशन कार्ड धारियों को चावल, गेहूँ आदि अनाज प्रतिमाह देती है।

लेकिन इस बार जन वितरण प्रणाली के दुकानों में जो गेहूँ की सरकारी सप्लाई मिला है, उस गेहूँ के साथ लगभग 20-25 फीसदी मात्रा कंकड़, पत्थर व मिट्टी का है। काफी पानी खर्च कर लोग गेहूं से मिट्टी को तो साफ कर ले रहे हैं लेकिन उसमें भारी पैमाने पर मौजूद छोटे-बडे़ कंकड़-पत्थर को साफ कर पाना मुश्किल भरा है। लाभुकों ने बताया कि सरकार अनाज भी दे रही है तो उसमें कंकड़-पत्थर मिलाकर, जिसे न उगलते, न निगलते बन रहा है।

पत्थर मिला गेहूं अगर पिसाते है तो वह आटा की रोटी खाना मुश्किल हो रहा है। यह पत्थर शरीर में जाकर स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचायेगा। लाभुकों ने कहा कि इसमें राशन डीलरों की कहीं गड़बडी़ नहीं दिखी, क्योंकि गेहूँ की बोरी की मशीन से किया हुआ सिलाई वह हमारे सामने खोल गेहूँ दिये।

ऐसे में साफ है कि बाहर से जिसने भी गेहूँ की सप्लाई की होगी उसने अपने फायदे के लिये ऐसा किया है। गरीबों के अनाज की गुणवता के साथ खिलवाड़ करने व उनके अनाज में पत्थर डाल भारी भ्रष्टाचार करने वालों के खिलाफ सरकार जांच करा उचित कार्यवाही करे।

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