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पर्यावरण रूपी पृथ्वी को बचाने का प्रयत्न करें -शंकर भगत

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

झारखंड:ससंगदा प्रक्षेत्र, किरीबुरू वन क्षेत्र पदाधिकारी शंकर भगत ने साक्षात्कार में बताया कि एशिया प्रसिद्ध सारंडा जंगल में अभी से पड़ रही भीषण गर्मी एवं नदी, प्राकृतिक झरने आदि सूखने लगे हैं । इससे लोगों की चिंता बढ़ गई है ।
सारंडा की लाईफ लाईन कही जाने वाली कारो (उद्गम स्थल कोईड़ा, ओड़िसा), कोयना नदी (उद्गम स्थल भनगाँव, सारंडा) एवं सरोखा उर्फ सोना नदी (उद्गम स्थल सुकरी माईन्स की तलहटी, सारंडा) नदी वर्तमान में नाला व पथरीली रास्ते का रूप धारण करती जा रही है ।अगर इसके संरक्षण हेतु सरकारी, समाजिक व औद्योगीक घराने स्तर पर प्रयास नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में सारंडा में अनेकानेक समस्या दिखेगी।


आज हालत यह है कि नदी की गहराई खादानों से आने वाली फाईन्स व मिट्टी-पत्थर से दो-दो मीटर तक भर चुकी है, पानी का ठहराव नहीं है, मछलियाँ दिखना एक स्वप्न के समान है एंव दर्जनों गांवों के हजारों परिवारों का प्यास बुझाने तथा खेतों को सीचने वाली यह नदी स्वयं आज प्यासी है । नदी को देखने से ऐसा लगता है जैसे नयी सड़क बनाने से पूर्व किसी ने गिट्टी, पत्थर, बालू, फाईन्स डाल समतल करने का कार्य किया हो ।

निरंतर बढ़ते तापमान एंव घटते जलस्तर से सारंडा में रहने वाले लोग एंव वन्यप्राणियों का अस्तित्व खतरे में हैं । लोग जानबूझ कर प्रकृति का दिया हुआ यह अनमोल उपहार के साथ छेड़छाड़ व दोहन कर उस रास्ते की तरफ कदम बढा़ रहे हैं । ससंगदा प्रक्षेत्र, किरीबुरूवन क्षेत्र पदाधिकारी शंकर भगत ने लोगो से अपील की है कि पौधारोपण के लिए सदैव अग्रसर रहें ।वृक्ष ही हरियाली व जीवन प्रदान करने वाला है ।वृक्ष मानव जीवन के साथ-साथ प्राकृतिक सुंदरता के लिए अत्यंत अनिवार्य है ।

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