विशु शिकार पर रोक: दलमा वन्यप्राणी आश्रयणी में व्यापक जनजागरूकता अभियान सफल*
न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड:जमशेदपुर उप वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक, गज परियोजना, जमशेदपुर द्वारा दलमा राजा राकेश हेम्ब्रम से अनुरोध किया गया कि पारम्परिक पर्व विशु के दौरान किसी जंगली जानवर का शिकार न करें और इस पर्व को प्रतीकात्मक रूप से मनाएं। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए वन विभाग ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
वन विभाग ने ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए कई अभियानों का आयोजन किया। स्थानीय ग्रामों में जागरूकता फैलाने हेतु शाम के समय प्रोजेक्टर के माध्यम से वन एवं वन्य प्राणी संरक्षण संबंधी विडियो दिखाए गए। वन्यप्राणियों की सुरक्षा के महत्व को बताते हुए ग्रामीणों को शिकार न करने की अपील की गई। हाट दिवसों पर नुक्कड़ नाटक का आयोजन कर वन्यजीवों के साथ ग्रामीणों के अन्योन्याश्रय संबंध को समझाया गया और उनके सकारात्मक प्रभावों पर प्रकाश डाला गया।
विशु शिकार की निर्धारित तिथि से कुछ दिन पहले ही वनों की सुरक्षा हेतु विभाग ने वनकर्मियों की उपस्थिति में स्थानीय लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए कई बैठकें आयोजित कीं। 16 मई 2024 को मकुलाकोचा में मुख्य वन संरक्षक, वन्यप्राणी, झारखंड और उप वन संरक्षक, गज परियोजना, जमशेदपुर ने इको विकास समितियों के अध्यक्ष एवं सदस्यों के साथ बैठक कर विशु शिकार की रोकथाम हेतु रणनीति तय की। बंगाल की सीमा से शिकारियों के प्रवेश को रोकने के लिए वनरक्षियों को स्थानीय ईडीसी सदस्यों के साथ समन्वय कर गश्ती करने के निर्देश दिए गए।
शिकार को रोकने के लिए प्रशासन के अन्य उच्च पदाधिकारियों के साथ भी समन्वय स्थापित किया गया। ईडीसी सदस्यों ने बाहर से आने वाले लोगों के शिकार के कारण ग्रामीणों पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाई। मुख्य वन संरक्षक, वन्यप्राणी, झारखंड ने आरक्षी महानिरीक्षक एवं प्रमंडलीय आयुक्त से संपर्क किया, और गश्ती दलों के कार्यों का समन्वय एवं अनुश्रवण किया।
18 मई 2024 को शिकार के संभावित संवेदनशील क्षेत्रों में सघन गश्ती की गई। 20 मई 2024 को दलमा वन्यप्राणी आश्रयणी के विभिन्न नदी-नालों और जल स्रोतों के आस-पास विशेष ध्यान दिया गया। बोड़ाम अंचल स्थित मौजा हलुदबनी और चाण्डिल अंचल स्थित मौजा आसनबनी में सशस्त्र पुलिस बल की तैनाती के लिए जिला प्रशासन से अनुरोध किया गया।
19 और 20 मई 2024 को 11 चेक नाका और 17 अलग-अलग गश्ती पथों का चयन किया गया। जमशेदपुर वन प्रमंडल सहित आस-पास के विभिन्न वन प्रमंडलों के सहायक वन संरक्षक, वन क्षेत्र पदाधिकारी, वनपाल और वनरक्षियों को वन गश्ती में शामिल किया गया।
दलमा राजा राकेश हेम्ब्रम ने समाचार पत्र के माध्यम से सूचित किया कि सेंदरा समिति इस वर्ष दलमा वन्यप्राणी आश्रयणी में शिकार नहीं करेगी और वन पदाधिकारियों के दिशा-निर्देशों का पालन करेगी। 19 मई 2024 को सेंदरा समिति के सदस्य फदलोगोड़ा में साधारण पूजा-पाठ कर वापस लौट गए। विभिन्न चेक नाकों पर तैनात वन कर्मियों ने सेंदरा पर्व में भाग लेने वाले व्यक्तियों को समझा-बुझाकर वापस भेज दिया।
इस वर्ष सेंदरा पर्व में पूर्व वर्षों की तुलना में कम लोग शामिल हुए। वन विभाग द्वारा किए गए जनजागरूकता अभियानों के परिणामस्वरूप, इस वर्ष दलमा वन्यप्राणी आश्रयणी में किसी भी वन्यजीव का शिकार नहीं हुआ, जिससे वन्यप्राणियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो पाई। विभाग ने इस सफल प्रयास पर संतोष और हर्ष व्यक्त किया, और भविष्य में भी इसी प्रकार से सभी के सहयोग की आशा व्यक्त की।