मनजीत कौर ने स्वर्ग सिधारने से पूर्व सीजीपीसी को सौंपा वृद्धाश्रम की देख रेख का जिम्मा सीजीपीसी पूरी शिद्दत से वृद्धाश्रम में बुजुर्गों की करेगी सेवा: शैलेंद्र सिंह
न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड:मृत्यु, जीवन का कटु सत्य है परंतु मौत के बाद भी अपने अच्छे कर्मों से संसार में अपनी अमिट छाप छोड़ कर अमर हो जाना विरले को ही नसीब होता है। ऐसे ही उदाहरण पेश किया है टेल्को निवासी माता मनजीत कौर वृद्ध आश्रमवाली ने, जिन्होंने जीते जी वृद्धाओं की खूब सेवा की और दुनिया छोड़ने से पहले वृद्धाश्रम की देख रेख का जिम्मा सीजीपीसी के हवाले कर गयीं।
शनिवार को इस बात की पुष्टि करते हुए सीजीपीसी के चेयरमैन और झारखंड राज्य गुरुद्वारा कमिटी के अध्यक्ष सरदार शैलेंद्र सिंह ने बताया कि नेक दिल इंसान समाजसेवी बीबी मनजीत कौर ने आगे वृद्धाश्रम के देखरेख और बुजुर्गों की देखभाल की जिम्मेदारी सीजीपीसी के कंधों पर रख दी है जिसका निर्वहन सीजीपीसी पूरी शिद्दत के साथ करेगी। शैलेंद्र सिंह का कहना है कि सीजीपीसी वृद्ध जनों की सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
गौरतलब है कि समाजसेवी माता मनजीत कौर उम्र 82 वर्ष का निधन हार्ट फेल होने से के कारण हो गया था जो कुछ समय से बीमार चल रही थी। माता मनजीत कौर द्वारा टेल्को स्थित बीएड कॉलेज के नजदीक बुजुर्गों के लिए रहने के लिए वृद्ध आश्रम की स्थापना की थी जिसमें मजबूर और बेघर बुजुर्गों को रहने का स्थान और आसरा दिया जाता था। उनके बाद अब यह जिम्मेदारी सीजीपीसी के हाथों में आ गई है।
बहरहाल समाजसेवी बीबी मनजीत कौर का अंतिम संस्कार शुक्रवार को स्वर्णरेखा घाट में हुआ। इस मौके पर सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान सरदार भगवान सिंह, चेयरपर्सन सरदार शैलेंद्र सिंह, महासचिव अमरजीत सिंह व गुरुचरण सिंह बिल्ला, सलाहकार सुखविंदर सिंह राजू, सुखदेव सिंह बिट्टू, जसपाल सिंह ने सिख समाज की ओर से नमन किया और श्रद्धांजलि दी। इसके अलावा सरदार गुरप्रीत सिंह, हरदीप सिंह, एवं परमजीत सिंह समेत कई अन्य लोग शव यात्रा में शामिल हुए
सीआरपीएफ के डीआईजी सरदार केवल सिंह एवं परमजीत कौर से माता मनजीत कौर का पारिवारिक संबंध रहा है माता जी को वृद्धावस्था में काफी सहयोग मिलता रहा है। माताजी मनजीत कौर कुछ समय से पंजाब स्थित आवास में रह रही थी जहां उनकी देखभाल डीआईजी परिवार द्वारा की जा रही थी परंतु कुछ समय पूर्व ही वह जमशेदपुर स्थित अपने आवास में रह रही थी जहां उन्होंने अपने प्राण त्यागे।