Regional

वितरण कंपनियों को बायोमेट्रिक और बारकोड प्रणाली को तत्काल लागू करना चाहिए: ग्राहक दक्षता कल्याण फाउंडेशन का दावा

न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड: पूर्वी सिंहभूम जिला में जमशेदपुर के साकची स्थित होटल ग्रांड में ग्राहक दक्षता कल्याण फाउंडेशन ने संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया। जिसमें दावा किया गया कि भोजन बनाने के लिए उपयोग में आने वाली गैस का होटल व्यवसाय, ऑटोरिक्शा और एलपीजी गैस वाहनों के लिए डंके की चोट पर उपयोग होने से गैस सिलेंडर की कीमत 850 से 900 रुपए तक पहुंच गई है। गैस सिलेंडर का केवल घरेलू उपयोग होने पर 300 रुपए के लगभग गैस सिलेंडर मिल सकता है। इसके लिए सरकार को सिलेंडर वितरित करने वाली कंपनियों को बायोमेट्रिक और बारकोड प्रणाली कार्यान्वित करने का निर्देश देना होगा। ऐसा दावा ग्राहक दक्षता कल्याण फाउंडेशन ने किया है। घरेलू गैस सिलेंडर सतर्कता जनजागृति अभियान के अंतर्गत गैस सिलेंडर वितरण के बारे में संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन सोलंके ने कही। उनके साथ संस्था के संपर्क अधिकारी अनिकेत मिश्रा, सदिप गुप्ता, राज्य समन्वयक पायल मानकर मौजूद थे।

 

नितिन सोलंके ने कहा कि देश में भोजन बनाने के लिए 75 प्रतिशत नागरिक घरेलू गैस और 20 प्रतिशत नागरिक चूल्हे का उपयोग करते हैं। केवल 5 प्रतिशत नागरिक बिजली पर चलने वाले इंडक्शन का उपयोग भोजन बनाने के लिए करते हैं।

 

*ग्राहक दक्षता कल्याण फाउंडेशन का दावा:*

– जिले के 260 होटल हैं, जिससे सरकार का 1 से 2 करोड़ रुपए का राजस्व डूब रहा है। देश में यह आंकड़ा करोड़ों में है।
– गैस वितरित करने वाली कंपनियां व्यवसायियों को आसानी से घरेलू गैस बेच रही हैं।
– सभी व्यक्तियों के लिए एक साल में 12 सिलेंडर निश्चित किए हैं, लेकिन कई लोग 5 से 7 सिलेंडर का ही उपयोग करते हैं। शेष गैस सिलेंडर को वितरक बेच रहे हैं। सॉफ्टवेयर के माध्यम से सेटिंग करने से उसका मैसेज नहीं आता है।
– घरेलू सिलेंडरों का अवैध इस्तेमाल बड़े पैमाने पर हो रहा है।

नितिन सोलंके ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि GDKF के सर्वे में यह चौंकाने वाली बात सामने आई है। विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा:

1. *60% घरेलू सिलेंडरों का उपयोग अवैध रूप से व्यावसायिक स्थानों पर किया जा रहा है।* इसमें सीधे 14.2 किग्रा सिलेंडर का उपयोग 35 प्रतिशत है जबकि 16 किग्रा या फिर दूसरे कमर्शियल सिलेंडरों में क्रूड बिल का 25 प्रतिशत हिस्सा ट्रांसपोर्ट के जरिए खतरनाक तरीके से घुमाकर बाजार में उपलब्ध कराया जा रहा है।

2. *देश में एलपीजी वाहनों में घरेलू सिलेंडर का खतरनाक तरीके से उपयोग किया जा रहा है।* ऑटो एलपीजी वाहन की दैनिक खपत की तुलना में 70 प्रतिशत वाहन चालक इलेक्ट्रिक मोटर पंप की मदद से घरेलू सिलेंडर में बेहद खतरनाक तरीके से एलपीजी भरते हैं। इससे बड़े हादसे भी हो चुके हैं। लेकिन, ऑटो एलपीजी पंपों से सिर्फ 30 प्रतिशत अधिकृत एलपीजी ही बेची जा रही है। वाहनों की कुल संख्या अनुमानित 2.38 मिलियन है और हर दिन नए एलपीजी वाहन बढ़ रहे हैं क्योंकि एलपीजी एक सुरक्षित, गैर-प्रदूषणकारी ईंधन है जो पेट्रोल और डीजल से सस्ता है। आज ऑटो एलपीजी 52 से 55 रुपये प्रति लीटर बिकता है और इसका माइलेज भी अच्छा है।

3. *टैंकरों से सीधे एलपीजी गैस लेने और इसे 15% सिलेंडरों में भरने का खतरनाक प्रचलन बढ़ रहा है।* पिछले 10 वर्षों में इसके कारण राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों पर बड़ी दुर्घटनाएं हुई हैं। इसमें सरकार के साथ-साथ नागरिकों की भी निजी नुकसान हुआ है और लोगों की जान भी गई है। फिर भी प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है और केवल अस्थायी कार्रवाई की जा रही है। हर राज्य में राज्य स्तर और जिला स्तर पर एलपीजी से संबंधित शिकायतों और दुर्घटनाओं को नियंत्रित करने के लिए सतर्कता समिति जैसी समितियां बनाई गई हैं, लेकिन उन्हें भी नजरअंदाज किया जा रहा है।
4. *प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत 2014 से अब तक लगभग 6.58 करोड़ लोगों को 100 रुपये के शुल्क के साथ एलपीजी सिलेंडर दिए गए हैं।* लेकिन, अक्सर उज्ज्वला लाभार्थी को पूरे 12 सिलेंडर लेते हुए नहीं देखा जाता। डिस्ट्रीब्यूटर (डीलर, वितरक) इसका दुरुपयोग कर फायदा उठा रहे हैं। इसलिए इस योजना को झटका लगा है। जिला स्तर पर स्थानीय प्रशासन का ध्यान न होने की वजह से सेल्स अधिकारियों की मिलीभगत से यह सारा अवैध एलपीजी डायवर्जन का काम चल रहा है।

*तेल कंपनी की खपत रिपोर्ट में:*

– Domestic gas cylinder: 89%
– Commercial cylinder: 9.10%
– Industrial: 1.4%
– Auto LPG: 0.4%

उपरोक्त सभी आंकड़े 2023 तक के हैं और चौंकाने वाली बात यह है कि ऑटो एलपीजी की खपत दिन-ब-दिन कम होती जा रही है। लेकिन, ऑटो विकी बढ़ रहा है। साथ ही ऑटो एलपीजी पंप भी कम होते जा रहे हैं। 2021 में यह संख्या 601 थी और 2022 में यह संख्या गिरकर 516 हो गई है। इसका कारण घरेलू गैस सिलेंडर की बढ़ती खपत है। 2022 में एलपीजी वाहनों में घरेलू गैस सिलेंडरों का अवैध रूप से व्यापक रूप से उपयोग किया गया। तेल कंपनियां इसे नजरअंदाज कर रही हैं। साथ ही ऊपर दिए गए कमर्शियल गैस सिलेंडर की खपत को देखते हुए इसकी मात्रा भी कम हो रही है। इसका कारण यह है कि कमर्शियल सिलेंडर महंगे होते जा रहे हैं और कमर्शियल लोग घरेलू गैस सिलेंडर का चोरी-छिपे इस्तेमाल करते हैं। प्रशासन द्वारा भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

एक चौंकाने वाला खुलासा यह हुआ है कि पिछले 5 साल में एलपीजी सिलेंडर से हादसों की 5131 घटनाएं हुई हैं। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री राजेश्वर तेली ने असम में मंगलदोई लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद दिलीप सैकिया द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में लोकसभा में कहा था कि एलपीजी से जुड़ी सभी दुर्घटनाओं की जांच सार्वजनिक क्षेत्र की विपणन कंपनियों (ओएमसी) द्वारा की जाती है। पिछले 5 वर्षों में दुर्घटनाओं के आंकड़े लगभग 5131 हैं, जिनमें सबसे अधिक दुर्घटनाएं 2016-2018 में हुई हैं। उपरोक्त सभी आंकड़ों को ध्यान में रखें तो हर साल औसतन 1000 हजार दुर्घटनाएं होती हैं। ये सभी आंकड़े चौंकाने वाले हैं। इंसान की जान खतरे में है। अवैध एलपीजी सिलेंडर के इस्तेमाल से कई मौतें होती हैं। सरकारी राजस्व को भी करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है। जो परिवार ऐसी दुर्घटनाओं से पीड़ित हैं, उनके मामले सरकार या बीमा कंपनियों से मुआवजा देकर रफादफा कर दिए जाते हैं। इन सभी समस्याओं के लिए अवैध एलपीजी की बिक्री ही जिम्मेदार है। क्योंकि दुर्घटना में मरने वाला परिवार का सदस्य हमेशा के लिए उनसे दूर हो जाता है!

*आइए यह भी समझें कि जीएसटी से सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये का कैसे नुकसान हो रहा है:*

14.2 किलो के घरेलू गैस सिलेंडर पर सरकार सिर्फ 5% जीएसटी लगाती है, जबकि 16 किलो और 5 किलो के कमर्शियल गैस सिलेंडर पर 18% जीएसटी लगता है। साथ ही, ऑटो एलपीजी यानी वाहनों में इस्तेमाल होने वाली एलपीजी पर भी 18% जीएसटी लगता है। इसलिए सरकार को घरेलू एलपीजी सिलेंडर की बिक्री से हर साल करोड़ों रुपये का जीएसटी मिलता है। इसकी अवैध बिक्री रोकने से जीएसटी के राजस्व में बढ़ोतरी हो सकती है। दावे के मुताबिक, व्यावसायिक कार्यों के लिए आवश्यक एलपीजी कुल 18% है और मौजूदा स्थिति में निजी एलपीजी कंपनियों की हिस्सेदारी 10.2% है। साथ ही, देश में एलपीजी से चलने वाले वाहनों की कुल संख्या लगभग 2.38 मिलियन है। वे प्रतिदिन औसतन 8.52 मिलियन लीटर एलपीजी की खपत करते हैं और 2.8 मिलियन की खपत देश के आधिकारिक एलपीजी पंपों से होती है। यह करीब 2.38 मिलियन है। उन्हें प्रतिदिन औसतन 6.52 लाख एलपीजी गैस की जरूरत होती है क्योंकि देश में आधिकारिक एलपीजी पंपों से 4 लीटर और 3.8 लाख गैस की खपत हो रही है। औसतन 3.1 मिलियन किलोग्राम/टन गैस का अवैध रूप से उपयोग किया जा रहा है। इसलिए, जैसा कि ऊपर बताया गया है, यह स्पष्ट है कि सरकार को 13 प्रतिशत जीएसटी के माध्यम से लगभग 3.1 मिलियन का नुकसान हो रहा है।

*अनाज वितरण प्रणाली को किया जाए लागू*

उपभोक्ताओं के गैस सिलेंडर की चोरी रोकने के लिए बारकोड, क्यूआर कोड और आरएफआईडी टैग लगाना जरूरी है। बिक्री, पैकेज ट्रैकिंग की सुविधा जरूरी है। ‘ट्रैक एण्ड ट्रेस’ के लिए क्यूआर कोड आवश्यक है। धान्य वितरण प्रणाली की तरह गैस वितरण प्रणाली शुरू करने की आवश्यकता है।

इस प्रकार, ग्राहक दक्षता कल्याण फाउंडेशन का दावा है कि अगर गैस सिलेंडरों का घरेलू उपयोग सुनिश्चित करने के लिए बायोमेट्रिक और बारकोड प्रणाली को तत्काल लागू किया जाए, तो गैस सिलेंडर की कीमत 300 रुपए के आसपास हो सकती है। इसके लिए सरकार को गैस वितरण प्रणाली में सुधार करने के ठोस कदम उठाने होंगे।

Related Posts