ड्रॉपआउट बच्चों को स्कूल की शिक्षा से पुनः जोड़ना के लिए बैक टू स्कूल कैंपस पर एक दिवसीय कार्यशाला का हुआ आयोजन
न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड: पूर्वी सिंहभूम जिला स्थित जमशेदपुर के टाउन हॉल सिदगोड़ा में जिला दण्डाधिकारी सह उपायुक्त अनन्य मित्तल की अध्यक्षता में रूआर, 2024 (Back to School Campaign) पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इसका मुख्य उद्देश्य है कि ड्रॉपआउट बच्चों को स्कूल की शिक्षा से पुनः जोड़ना है।
इस कार्यशाला में माननीय
विधायकगण के प्रतिनिधि, उप विकास आयुक्त मनीष कुमार, क्षेत्रीय शिक्षा संयुक्त निदेशक श्रीमती निर्मला बरेलिया, डीईओ मनोज कुमार, डीएसई आशीष पांडेय, स्कूलों के प्राचार्य, शिक्षा विभाग के अन्य पदाधिकारी, कर्मी एवं मुखियागण शामिल हुए।
अभियान का उद्देश्य
15 से 31 जुलाई तक चलने वाले इस 16 दिवसीय सघन अभियान का मुख्य उद्देश्य 5 से 18 वर्ष के ड्रॉपआउट बच्चों को स्कूल की शिक्षा से पुनः जोड़ना है। नई शिक्षा नीति और बाल शिक्षा अधिकार कानून के तहत बच्चों को अनिवार्य रूप से स्कूल शिक्षा उपलब्ध कराने का प्रावधान है।
शिक्षा का महत्व
अपने संबोधन में जिला दण्डाधिकारी ने कहा, “बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण में शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान होता है। हमें यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी बच्चा शिक्षा के अधिकार से वंचित न रहे।” उन्होंने बच्चों को स्कूल में रोचक माहौल देने की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि वे खुशी-खुशी स्कूल आएं।
चुनौतियों का समाधान
उपायुक्त ने उल्लेख किया कि हर क्षेत्र की अपनी चुनौतियां हैं और स्थानीय स्तर पर समाधान खोजने की आवश्यकता है। उन्होंने जनप्रतिनिधियों और शिक्षा विभागीय अधिकारियों से आग्रह किया कि वे समीक्षा करें कि बच्चे स्कूल क्यों नहीं आ रहे हैं। इसके लिए मुखिया, वार्ड सदस्य, प्राचार्य, शिक्षक और अभिभावक मिलकर एक कमिटी बनाएं और समेकित प्रयास करें।
सरकारी योजनाओं का लाभ
उप विकास आयुक्त ने कहा कि विशेषकर कमजोर वर्ग के बच्चों को बेहतर शैक्षिक वातावरण उपलब्ध कराने के लिए जिला प्रशासन संवेदनशील है। उन्होंने छात्रवृत्ति, सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना, साइकिल वितरण और मध्याह्न भोजन जैसी योजनाओं का उल्लेख किया, जो बच्चों को शिक्षा के लिए प्रेरित करने में सहायक होंगी।
जागरूकता रथ का शुभारंभ
इस अवसर पर जिला दण्डाधिकारी सह उपायुक्त और उप विकास आयुक्त द्वारा रूआर, 2024 (Back to School Campaign) जागरूकता रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। यह जागरूकता रथ गांव-गांव जाकर अभिभावकों को अभियान की जानकारी देगा और बच्चों के स्कूल में नामांकन एवं सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जागरूक करेगा।
निष्कर्ष
इस कार्यशाला के माध्यम से यह स्पष्ट हुआ कि शिक्षा के अधिकार को सुनिश्चित करने और ड्रॉपआउट बच्चों को पुनः स्कूल में लाने के लिए सभी stakeholders को मिलकर काम करने की आवश्यकता है। यह अभियान न केवल बच्चों के भविष्य को संवारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, बल्कि समाज के समग्र विकास में भी योगदान देगा।