लोहरदगा ट्रेन में कांवरियों के साथ मारपीट, श्रध्दालूओं ने किया विरोध प्रदर्शन
न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड:रांची-लोहरदगा ट्रेन में कांवरियों के साथ मारपीट की एक गंभीर घटना सामने आई है। यह घटना तब हुई जब कांवरियों ने लोहरदगा से 80 किलोमीटर पैदल चलकर रांची के पहाड़ी मंदिर में जलाभिषेक किया और वापस लौटते समय उन पर हमला किया गया। इस घटना के खिलाफ गुस्साए कांवरियों और धार्मिक संगठनों के सदस्यों ने लोहरदगा-गुमला राष्ट्रीय उच्च पथ संख्या 143 ए को पावरगंज चौक पर जाम कर दिया।
प्रशासन की कार्रवाई
घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची और जाम कर रहे लोगों को समझाने का प्रयास किया। सदर थाना प्रभारी पुलिस निरीक्षक रत्नेश मोहन ठाकुर सहित अन्य अधिकारियों ने स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की।
मारपीट और लूटपाट के आरोप
कांवर यात्रा का आयोजन करने वाली समिति के सदस्य कुणाल कुमार ने आरोप लगाया कि रांची और लोहरदगा प्रशासन को इस यात्रा के बारे में पहले से सूचित किया गया था, फिर भी सुनियोजित तरीके से कांवरियों पर हमला किया गया। उन्होंने कहा कि यह घटना केवल एक स्टेशन पर नहीं, बल्कि नरकोपी, नकजुआ और अकासी स्टेशनों पर भी हुई है, जहां पथराव और मारपीट की गई।
पीड़ितों की आपबीती
कांवरियों ने बताया कि कुछ लोगों के साथ छिनतई की गई और ट्रेन में घुसकर जानलेवा हमले की कोशिश की गई। एक पीड़ित कांवरिया युवराज साहू ने बताया कि उनके ऊपर धारदार हथियार से वार किया गया और उनकी सोने की चेन छीनने की कोशिश की गई।
जब तक वह बचाव कर पाते, तब तक हमलावर उनकी चेन छीनकर भाग गया।
आरपीएफ का बयान
इस घटना पर ईटीवी भारत ने लोहरदगा आरपीएफ प्रभारी आरवी सिंह का पक्ष लिया। उन्होंने कहा कि गश्ती पार्टी ने रिपोर्टिंग की है, लेकिन स्टेशन मास्टर की कोई डायरी इंट्री नहीं है और गार्ड ने कोई मेमो नहीं दिया है। फिर भी, वह पूरे मामले की जांच कर रहे हैं।
निष्कर्ष
इस घटना ने स्थानीय समुदाय में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है। कांवरियों की सुरक्षा को लेकर उठे सवाल प्रशासन के लिए एक चुनौती बन गए हैं। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई करता है और कांवरियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाएगा।