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महाधर्माध्यक्ष विंसेंट आइंद को पोप के अधिकार का प्रतीक पालियुम प्राप्त 

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

रांची: संत मरिया महागिरजा रांची में रांची कैथोलिक महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष विंसेंट आइंद को पवित्र मिस्सा के दौरान संत पिता फ्रांसिस के राजदूत महाधर्माध्यक्ष लियोपोल्दो जिरेली द्वारा पोप के अधिकार का प्रतीक पालियुम प्राप्त हुआ। रांची के संत मरिया महागिरजा में पवित्र मिस्सा बलिदान के दरम्यान महाधर्माध्यक्ष विंसेंट आइंद के पालियूम ग्रहण करने की धर्मविधि संपन्न हुई। मिस्सा बलिदान की शुरुआत 50 से अधिक उपस्थित पुरोहितों और 13 बिशपों के जुलूस से हुई।

मिस्सा बलिदान की शुरुआत पोप के राजदूत महाधर्माध्यक्ष लियोपोल्दो जिरेली ने की और पालियुम का अर्थ समझाते हुए कहा कि ” पालियुम संत पिता से जुड़े रहने और उसके द्वारा प्राप्त अधिकार का प्रयोग नम्रता से पूरा करते हुए सम्पूर्ण कलिसिया की देखभाल करने की ज़िम्मेदारी का प्रतीक है।”

इसके पश्चात पालियुम प्रतिस्थापन की धर्मविधि आरंभ हुई जिसमें महाधर्माध्यक्ष विंसेंट आइंद ने पोप के राजदूत महाधर्माध्यक्ष लियोपोल्दो जिरेली के सम्मुख अपने और कलीसिया के विश्वास, उसकी शिक्षा की घोषणा की। साथ ही महाधर्माध्यक्ष विंसेंट आइंद संत पिता फ्रांसिस के प्रति वफादार बने रहने, कलीसिया की शिक्षा को सिखाने और नम्रता पूर्वक अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाहन करने की प्रतिज्ञा की।

इसके पश्चात ही महाधर्माध्यक्ष लियोपोल्दो जिरेली ने अशीष की प्रार्थना करते हुए महाधर्माध्यक्ष विंसेंट आइंद को पालियुम प्रदान किया। इसके पश्चात महाधर्माध्यक्ष विंसेंट आइंद ने मिस्सा बलिदान आगे बढ़ाया। अपने धर्मोपदेश में उन्होंने कहा ” हम प्रत्येक को नम्रता पूर्वक प्राप्त अधिकारों का अपनी सेवा के लिए नहीं किंतु लोगों की सेवा के लिए करने पर ज़ोर दिया। मिस्सा के अंत में महाधर्माध्यक्ष और सभी पुरोहितों का पल्लीवासियों का धन्यवाद करते हुए अपने मिशन कार्य में ईश्वर से प्रार्थना करने का आह्वान किया।

इस पालियुम स्थापन समारोह में पोप के राजदूत महाधर्माध्यक्ष लियोपोल्दो जिरेली, महाधर्माध्यक्ष विंसेंट आइंद, फेलिक्स टोप्पो रांची के पूर्व आर्चबिशप, थियोदोर मसकारेनहस डाल्टनगंज के बिशप, विंसेंट बरवा सिमडेगा के बिशप, पिंगल एक्का गुमला के बिशप, विनय कांडुलना खूंटी के बिशप, आनंद जोजो हजारीबाग के बिशप, फ्रांसिस तिर्की पूर्णिया के बिशप, विसुवाशम सेल्वाराज पोर्ट ब्लेयर के बिशप, जुलियस मरांडी दुमका के बिशप, अंतोनिस बाड़ा अम्बिकापुर के बिशप, 50 से अधिक पुरोहित एवं हज़ारों की संख्या में ख्रीस्त विश्वासी शामिल हुए।

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