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बांग्लादेश में राजनीतिक संकट: शेख हसीना का इस्तीफा और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

 

 

नई दिल्ली:2024 की शुरुआत में, शेख हसीना ने चौथी बार बांग्लादेश के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। उनके नेतृत्व में देश को विकासशील देशों की सूची में शामिल होने की उम्मीदें थीं। साथ ही, भारत ने भी 2027 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखा था। हालांकि, बांग्लादेश में हाल के विरोध प्रदर्शनों और राजनीतिक अस्थिरता ने इन उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।

शेख हसीना का इस्तीफा

 

शेख हसीना के इस्तीफे के बाद बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता पैदा हो गई है। हिंसक विरोध प्रदर्शनों के चलते हसीना को भारत भागना पड़ा। इस स्थिति ने देश की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाला है। राजनीतिक संकट के कारण विदेशी निवेश में कमी आई है, और व्यापारिक गतिविधियाँ भी ठप हो गई हैं।

आर्थिक प्रभाव

 

बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था, जो महामारी के बाद 7.2% की विकास दर पर थी, अब संकट में है। यदि स्थिति में सुधार नहीं होता है, तो बांग्लादेश के व्यापारिक साझेदारों पर भी इसका असर पड़ेगा। भारत और बांग्लादेश के बीच लगभग 14 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार है, जो इस संकट से प्रभावित हो सकता है।

भारत पर असर

 

बांग्लादेश के संकट का असर भारत की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है। भारत में कपड़े, जूते और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि की आशंका है। यह स्थिति महंगाई को बढ़ा सकती है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था पर दबाव पड़ेगा।

निष्कर्ष

 

बांग्लादेश का वर्तमान राजनीतिक संकट न केवल उसके भीतर बल्कि पड़ोसी देशों पर भी गहरा प्रभाव डाल रहा है। यह स्थिति भारत के साथ उसके आर्थिक संबंधों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। यदि बांग्लादेश जल्द ही इस संकट से नहीं उबरता है, तो इससे क्षेत्रीय स्थिरता और आर्थिक विकास को भी खतरा हो सकता है।

इस संकट को देखते हुए, बांग्लादेश को तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि राजनीतिक स्थिरता बहाल हो सके और

अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाया जा सके। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग और भारत जैसे पड़ोसी देशों के साथ समन्वय भी महत्वपूर्ण होगा।

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