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सेल व टाटा स्टील की खदान प्रबंधन से ग्रामीण अपना हक लें:- रामा पांडे

न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखण्ड: पश्चिम सिंहभूम जिला स्थित सारंडा के बाईहातु गांव मैदान में राजाबेडा़ मुंडा जामदेव चाम्पिया एवं मजदूर नेता रामा पांडेय की मौजूदगी में सेल की गुवा, किरीबुरु, मेघाहातुबुरु एवं टाटा स्टील की विजय-टू लौह अयस्क खदान से प्रभावित सारंडा के विभिन्न गांवों के ग्रामीणों की महत्वपूर्ण बैठक हुई। बैठक में कहा गया की उक्त चारों खदानों से बहकर आने वाली लाल पानी, मिट्टी, फाइन्स आदि से सारंडा के जोजोगुटु, राजाबेडा़, बाईहातु, बहदा, सोनापी, काशिया-पेचा, जामकुंडिया आदि गांव पूरी तरह से प्रभावित है।

इन गांवों के ग्रामीणों का सैकड़ों एकड़ रैयत कृषि भूमि दशकों वर्षों से बंजर होकर बर्बाद हो चुकी है। यह भूमि हमारे जीने का आधार था लेकिन अब इस पर कुछ भी उपज नहीं होता है।400 से खदान से बहने वाली फाइंस व मिट्टी से सारंडा की प्राकृतिक नदी-नाला व झरना का अस्तित्व खत्म होने के कगार पर है तथा पूरी तरह से प्रदूषित हो चुकी है। इस नदी व झरने का पानी का इस्तेमाल हम ग्रामीण पेयजल व कृषि कार्य हेतु करते हैं, लेकिन प्रदूषित होने की वजह से इसका पानी का इस्तेमाल से हम ग्रामीण निरंतर बीमार होकर मर रहे हैं।

खदान से बहकर आने वाली फाइंस रुपी दलदल में अब तक हमारे दर्जनों पालतू जानवर फंसकर मारे जा चुके हैं। उक्त खदान प्रबंधनें हमारे बंजर कृषि भूमि व मारे जा रहे पालतू जानवरों के एवज में कोई मुआवजा नहीं देती है तथा उक्त समस्याओं की वजह से बीमार हो रहे हम ग्रामीणों का बेहतर इलाज हेतु कोई सुविधा प्रदान नहीं कर रही है। इन सभी समस्याओं से बडा़ समस्या यह है कि हमारे घर अथवा आंगन में धरती के नीचे खनिज व धरती के उपर वन संपदा का भारी भंडार होते हुये भी सारंडा के खदान क्षेत्रों के हम ग्रामीण निरंतर बेरोजगार व भूखमरी के शिकार होते जा रहे हैं। यहाँ की खनिज संपदा से दूसरे राज्य व शहर न सिर्फ विकसित हो रहा है, बल्कि वहाँ के लोगों को बेहतर शिक्षा, चिकित्सा, शुद्ध पेयजल, रोजगार, बिजली आदि तमाम बुनियादी सुविधाएं मिल रही है।

यहाँ की खदानों में बाहरी लोगों को लाकर नौकरी दिया जा रहा है, लेकिन हमारे शिक्षित बेरोजगार ग्रामीण युवाओं को नौकरी से पुरी तरह से वंचित कर यहाँ से दूसरे राज्यों में बडे़ पैमाने पर पलायन को मजबूर किया जा रहा है। अब इसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। मजदूर नेता रामा पांडेय ने कहा कि हम पिछले दिनों गुवा खदान में बडा़ आंदोलन किये थे जिसमें खदान से प्रभावित सारंडा के 500 ग्रामीण बेरोजगारों को नौकरी देने की मांग की गई थी। निकट भविष्य में सेल में 400 लोगों को नौकरी देने की योजना है। लेकिन हमें ध्यान देना है कि इस नौकरी को पैसे वाले लोग सेल अधिकारियों को घुस देकर आपका नौकरी रुपी हक न छीन ले। सेल भी नौकरी में ऐसा शर्त रख देती है जिस कारण सारंडा के लोग नौकरी पाने से वंचित रह जाते हैं। ऐसे नियमों का विरोध करने की जरुरत है।

सेल प्रबंधन अपने-अपने खदानों में कुछ हिस्सा हैंड माइनिंग के लिये भी दै ताकि काफी अशिक्षित बेरोजगारों को भी रोजगार मिल सके। सारंडा के सभी गांवों के ग्रामीणों को संगठित होकर अब अपने हक व अधिकार के लिये लडा़ई लड़ना होगा। पहले सारंडा के सभी गांवों के लोगों को अलग-अलग बैठक कर संगठित होकर चरणबद्ध आंदोलन तेज करना होगा। ग्रामीणों में आपस में फूट होने का लाभ कंपनियां उठा रही है। सेल प्रबंधन द्वारा एक एनजीओ द्वारा संचालित चिकित्सा वैन ग्रामीणों का बेहतर इलाज नहीं कर वह अधिकारियों साथ मिलकर सीएसआर का पैसा का लूट कर रही है। इस मामले की भी जांच केन्द्रीय एजेंसी करे।

उक्त खदान प्रबंधनों के खिलाफ बडा़ आंदोलन छेड़ने से पहले अगली बैठक 11 अगस्त रविवार को बाईहातु मैदान में सुबह 10 बजे से रखा गया है, जिसमें सभी गांवों से सैकड़ों लोगों को आने हेतु कहा गया। इस बैठक में रामा पांडेय, मुंडा जामदेव चाम्पिया, मुंडा कानुराम देवगम, मुंडा मनचुडि़या सिधु, मुंडा प्रीति देवगम, सोनाराम माझी, राजेश सांडिल, मंगता सुरीन, साहू सुरीन, पवन चाम्पिया, गंगाराम चाम्पिया, लंकेश चाम्पिया, ठाकुर सोरेन, मुगा चाम्पिया, लेबेया सिधु, विजय सिधु, मंगल हुरद, प्रदीप माझी, बामिया सुरीन, बामिया चाम्पिया, घासीराम देवगम, सुकराम चाम्पिया आदि सैकड़ों मौजूद थे।

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