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69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती रद्द: इलाहाबाद हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, नई मेरिट लिस्ट जारी करने का आदेश**

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

यूपी:इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती को रद्द करते हुए बेसिक शिक्षा विभाग को तीन महीने के भीतर नई मेरिट लिस्ट जारी करने का आदेश दिया है। यह फैसला 16 अगस्त को अदालत की दो जजों की बेंच ने सुनाया। कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि नई सूची तैयार करते समय 1994 की आरक्षण नियमावली की धारा 3(6) और बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 का पालन अनिवार्य होगा।

**क्या है मामला?**

उत्तर प्रदेश सरकार ने दिसंबर 2018 में 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए नोटिफिकेशन जारी किया था। इसके तहत परीक्षा जनवरी 2019 में आयोजित हुई, जिसमें 4 लाख 10 हजार उम्मीदवारों ने हिस्सा लिया। परीक्षा में सफल हुए 1 लाख 40 हजार अभ्यर्थियों की मेरिट लिस्ट 1 जून 2020 को जारी की गई थी।

लिस्ट जारी होते ही विवाद खड़ा हो गया। कई आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि उन्हें अनारक्षित पदों पर चयनित करने के बजाय आरक्षित कोटे में रखा गया, जिससे उनका चयन प्रक्रिया से बाहर हो गया। इन अभ्यर्थियों ने इसे आरक्षण नियमों का उल्लंघन बताया और न्याय के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया।

**कोर्ट का फैसला और सरकार को झटका**

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने इन दावों को सही माना और भर्ती प्रक्रिया को रद्द कर दिया। कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि तीन महीने के भीतर नए सिरे से मेरिट लिस्ट जारी की जाए, जिसमें आरक्षण नियमावली 1994 और बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 का पालन किया जाए। इस फैसले के कारण पिछले चार वर्षों से सेवा दे रहे हजारों शिक्षकों पर असर पड़ सकता है, जो नई चयन सूची के बनने के बाद बाहर हो सकते हैं।

**अभ्यर्थियों का संघर्ष**

जनवरी 2024 में प्रदर्शन में शामिल अभ्यर्थी विजय कुमार ने मीडिया को बताया कि 2019 की 69 हजार शिक्षक भर्तियों में आरक्षण का घोटाला किया गया। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग की रिपोर्ट में भी इस घोटाले की पुष्टि हुई थी। उनके अनुसार, जिन आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का चयन अनारक्षित पदों पर होना चाहिए था, उन्हें जबरन आरक्षित कोटे में डाल दिया गया, जिससे कई योग्य उम्मीदवार चयन से वंचित रह गए।

**सरकार के लिए अगला कदम**

इस फैसले से यूपी सरकार को बड़ा झटका लगा है। अब सरकार को नए सिरे से चयन प्रक्रिया पूरी करनी होगी और सुनिश्चित करना होगा कि आरक्षण नियमों का पूरी तरह से पालन हो। यह प्रक्रिया पूरी होने तक शिक्षक भर्ती से संबंधित मामलों में अस्थिरता बनी रह सकती है।

 

इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले को राज्य में न्याय और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

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