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लेटरल एंट्री पर मोदी सरकार का यू-टर्न, विपक्ष के दबाव में विज्ञापन वापस*

न्यूज़ लहर संवाददाता
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने नौकरशाही में लेटरल एंट्री से संबंधित विज्ञापन को वापस लेने का निर्णय लिया है। यह फैसला विपक्ष के बढ़ते दबाव और लेटरल एंट्री की व्यापक समीक्षा के बाद लिया गया है।

लेटरल एंट्री प्रणाली की समीक्षा के दौरान पाया गया कि ज्यादातर नियुक्तियां 2014 से पहले की गई थीं और ये एडहॉक स्तर पर की गई थीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानना है कि लेटरल एंट्री का सिस्टम संविधान में निहित समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप होना चाहिए, विशेष रूप से आरक्षण के प्रावधानों के संदर्भ में।

इस निर्णय के पीछे विपक्ष का विरोध भी एक प्रमुख कारण रहा। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लेटरल एंट्री के माध्यम से की जा रही भर्तियों का कड़ा विरोध किया, उनका आरोप है कि इस प्रक्रिया से अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के आरक्षण के अधिकारों का हनन हो रहा है। उन्होंने इसे सामाजिक न्याय के खिलाफ बताते हुए संविधान में दिए गए आरक्षण के प्रावधानों को कमजोर करने की साजिश करार दिया।

विपक्ष के इस कड़े विरोध और प्रधानमंत्री द्वारा न्यायसंगत प्रणाली की आवश्यकता पर बल देने के बाद सरकार ने यह विज्ञापन वापस लेने का निर्णय लिया।

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