चार सितम्बर को श्रद्धाभाव से मनाया जायेगा गुरु ग्रन्थ साहिब का पहला प्रकाश दिहाड़ा* *साकची गुरुद्वारा में प्रधान निशान सिंह ने बैठक कर पदाधिकारियों को दिए दिशा निर्देश*
न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड: पूर्वी सिंहभूम जिला स्थित जमशेदपुर के साकची गुरुद्वारा में गुरु ग्रंथ साहिब का 421वां प्रकाश दिवस आगामी चार सितम्बर (बुधवार) को श्रद्धा पूर्वक मनाया जायेगा। जिसको लेकर गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी, साकची में प्रधान सरदार निशान सिंह ने रविवार को बैठक आयोजित कर पदाधिकारियों को प्रकाश दिहाड़ा धूम धाम से मनाने के लिए जरुरी दिशा निर्देश भी दिये हैं।
बैठक में निर्णय लिया गया है कि प्रकाश दिहाड़े से तीन दिन पूर्व एक सितम्बर को निशान साहिब के चोला बदला जायेगा जो की शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी के फरमान अनुसार बसंती रंग का चोला होगा।
दो सितम्बर को अखंड पाठ की आरम्भता की जाएगी जिसकी समाप्ति चार सितम्बर को होगी उपरांत भाई साहब भाई संदीप सिंह जी ज्वद्दी (हजूरी रागी जत्था गुरुद्वारा साहिब साकची) और गुरप्रीत सिंह निक्कू अपनी मधुर स्वर में कीर्तन गायन की प्रस्तुति देंगे।
स्त्री सत्संग सभा एवं सुखमणि साहिब जत्था द्वारा भी शब्द कीर्तन गायन किया जायेगा। गुरु का अटूट लंगर भी बरताया जायेगा। बैठक में गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी, साकची, स्त्री सत्संग सभा और सुखमणि साहिब जत्था के वरीय पदाधिकारी उपस्थित रहे।
विदित हो, गुरु ग्रंथ साहिब का पहला प्रकाश पर्व 30 अगस्त, 1604 को अमृतसर के हरिमंदिर साहिब में हुआ था। इस दिन पांचवें सिख गुरु, श्री गुरु अर्जन देव जी ने गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश उत्सव आयोजित किया था। गुरु अर्जन देव जी ने 1603 में भाई गुरदास से गुरु ग्रंथ साहिब लिखवाने का काम शुरू करवाया था, जो 1604 में पूरा हुआ। गुरु ग्रंथ साहिब में बिना किसी भेदभाव के कई विद्वानों और भक्तों की बाणी शामिल की गई है।
सिखों के लिए गुरु ग्रंथ साहिब जीवंत गुरु के रूप में माना जाता है। यह केवल सिखों के लिए ही नहीं, बल्कि समूची मानवता के लिए आदर्श और पथ प्रदर्शक है।