टाटा स्टील में जबरन इस्तीफे का विवाद: नवल किशोर सिंह की दास्तान, टाटा स्टील पर एक गंभीर आरोप

न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड। जमशेदपुर स्थित टाटा स्टील, भारत की प्रमुख स्टील निर्माता कंपनी पर जबरन इस्तीफा देने का गंभीर मामला प्रकाश में आया है।हाल में ही एक अधिकारी , नवल किशोर सिंह, ने आरोप लगाया है कि उन्हें जबरन इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया। यह मामला न केवल नवल किशोर के लिए बल्कि कंपनी की मानव संसाधन नीतियों के लिए भी गंभीर सवाल उठाता है।
इस्तीफे की प्रक्रिया
20 दिसंबर 2019 को, नवल किशोर सिंह को उनके बॉस ने अपने कार्यालय में बुलाया। वहां, दो मानव संसाधन अधिकारियों के सामने उन्हें कहा गया कि उन्हें तत्काल इस्तीफा देना होगा। नवल किशोर ने बताया कि उन्हें एक इस्तीफा पत्र का प्रारूप दिया गया और कहा गया कि इसे अपने लिखावट में उक्त प्रारूप को लिखकर एवं उसपर आपको अपना लिखित हस्ताक्षर करना होगा। जब उन्होंने इसके पीछे के कारणों के बारे में पूछा, तो उन्हें बताया गया कि पिछले प्रदर्शन मूल्यांकन में उन्हें B+ ग्रेड मिला था, फिर भी उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया।
मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
इस दबाव ने नवल किशोर के मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित किया। उन्होंने कहा कि उस समय वे मानसिक तनाव और इलाज से गुजर रहे थे। नवल किशोर ने बताया की मेरे इस्तीफा देने के बाद मेरे बच्चो एवं हमारा घर का भरण -पोषण कैसे होगा इस कारण से मैं काफी मानसिक तनाव में था । उन्हेंने यह भी बताया गया कि यदि वे इस्तीफा नहीं देते हैं, तो कंपनी के द्वारा मुझे कोई भी आरोप लगाकर हटा दिया जाता । जिस कारण मैं कंपनी को अपना इस्तीफा देने के लिए मजबूर हो गया ।
उच्च अधिकारियों को शिकायत
नवल किशोर ने इस जबरन इस्तीफे के खिलाफ रतन टाटा, नॉएल टाटा, और एन चंद्रशेखरन को लिखित शिकायत दी। लेकिन उन लोगों द्वारा कोई कारवाई नहीं कि गई और न ही उनके द्वारा ENQUIRY COMMITTEE का गठन किया गया अब टाटा स्टील यह दावा कर रही है कि नवल किशोर के द्वारा इस्तीफा स्वेच्छा से दिया गया था, कंपनी का दावा गलत है। पिछले 15 महीनों से, उन्होंने हर महीने रजिस्टर्ड पत्र भेजकर इस मुद्दे को उठाया है, लेकिन अब तक कंपनी के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा
नवल किशोर सिंह ने बताया कि कंपनी के द्वारा 180 अधिकारियों से जबरन इस्तीफा एक ही दिन में ले लिया गया । यह मामला न केवल नवल किशोर सिंह के लिए बल्कि सभी अधिकारियों के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। यह दर्शाता है कि कैसे एक अधिकारीयों को अपनी नौकरी को लेकर गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। अधिकारियों के अधिकारों और कार्यस्थल पर दबाव के मुद्दे पर ध्यान देने की आवश्यकता है। टाटा स्टील के अधिकारी नवल किशोर सिंह ने बताया कि मैं 32 वर्ष टाटा स्टील की सेवा किया हूँ, मुझे जबरन इस्तीफा देने से करीब एक करोड़ पचाश लाख का नुक्सान मुझे हुआ ।
निष्कर्ष
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि टाटा स्टील इस मामले में क्या कार्रवाई करती है और क्या नवल किशोर को न्याय मिलेगा। इस मामले ने न केवल एक व्यक्ति के जीवन को प्रभावित किया है, बल्कि यह पूरे उद्योग में कार्यस्थल की नीतियों और कर्मचारियों के अधिकारों पर भी सवाल उठाता है। जबकि टाटा स्टील के चेयरमैन प्रधानमंत्री केयर फण्ड के मैंबर है ।