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करम के गीतों से गूंज रहा हर गांव,.चास में 12 सितंबर को निकाली जायेगी शोभायात्रा, डहरें करम बेड़हा न्यूज़ लहर संवाददाता झारखंड।बोकारो जिला स्थित चास व चंदनकियारी प्रखंड के गांव इन दिनों करम के गीतों से गूंज रहा है. सुबह शाम करम आखड़ा में करम गीतों के साथ बहनें जावा बेड़हाने का काम कर रही है. सात दिवसीय करम परब को लेकर गावों में उत्साह का माहौल है. इस परब में बहनें हो या बेटी ससुराल से अपने नैहर आती है. भाईयों के लिए मनाये जाने वाले इस त्योहार की प्रतिक्षा हर बहनों को रहती है. इस वर्ष करम परब 14 सितंबर को मनाई जा रही है. इस संबंध में लोक कला व संस्कृति के जानकार बिकास महतो ने कहा कि …… करम परब का संबंध जीवन और सृजन से है .ये हमें जीवन जीने के साथ सृजन का संदेश देती है. करम मतलब काम और जावा मतलब जीवन होता है.उन्होंने कहा कि हमारी परंपरा हमारी पहचान है. करम हमारी संस्कृति से जुड़ा सबसे समृद्धिशाली परब मे से एक है जो जीवन से जुड़ा है. इस संस्कृति को बचाना है, भाषा परंपरा को बचाना है और अपना अधिकार भी लेना है. जिस तरह भाषा और संस्कृति के लिए एकजुटता का परिचय दिया है वही एकता हमें बनाकर रखना होगा तभी हमें अपना अधिकार मिलेगा. हमलोगों का संस्कृति बहुत महान है.जो प्रकृति से जुड़ी हुई है और प्रकृति के साथ ही जीवन जीने की कला सिखाती है. सभी को अपनी भाषा के साथ संस्कृति पर गर्व होनी चाहिये. 12 सितंबर को होगी बिशाल शोभायात्रा – करम परब के मौके पर 12 सितंबर को चास में पारंपरिक वेश भूषा के साथ करम जुलुस डहरें करम बेड़हा का आयोजन होगी. इस कार्यक्रम का आयोजन बृहद झारखंड कला सांस्कृतिक मंच द्वारा की जा रही है. मंच के संयोजक राजेश महतो, सह संयोजक दयामय महतो बानुआर ने कहा कि शोभायात्रा की शुरूआत जगरनाथ महतो चौक आईटीआई मोड़ चास से होगी जो चास बाजार होते हुए बिरसा मुंडा चौक नया मोड़ में समापन होगी. इस अवसर पर पर ढोल, मांदर, नगाड़ा जैसे पारंपर गाजे बाजे के साथ करम गीतों से पूरा चास शहर गूंजेगा. कहा करम परब हमारी समृद्धशाली सांस्कृतिक उत्सव है. उस परब त्योहार को बचाने के लिए, उसके संबर्धन और संरक्षण के लिए एवं लोगों में जागरूकता लाने के लिए मंच लगातार करम शोभायात्रा का आयोजन करती रही है. आयोजन का यह तीसरा साल है.

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

झारखंड।बोकारो जिला स्थित चास व चंदनकियारी प्रखंड के गांव इन दिनों करम के गीतों से गूंज रहा है. सुबह शाम करम आखड़ा में करम गीतों के साथ बहनें जावा बेड़हाने का काम कर रही है. सात दिवसीय करम परब को लेकर गावों में उत्साह का माहौल है. इस परब में बहनें हो या बेटी ससुराल से अपने नैहर आती है. भाईयों के लिए मनाये जाने वाले इस त्योहार की प्रतिक्षा हर बहनों को रहती है. इस वर्ष करम परब 14 सितंबर को मनाई जा रही है. इस संबंध में लोक कला व संस्कृति के जानकार बिकास महतो ने कहा कि …… करम परब का संबंध जीवन और सृजन से है .ये हमें जीवन जीने के साथ सृजन का संदेश देती है. करम मतलब काम और जावा मतलब जीवन होता है.उन्होंने कहा कि हमारी परंपरा हमारी पहचान है. करम हमारी संस्कृति से जुड़ा सबसे समृद्धिशाली परब मे से एक है जो जीवन से जुड़ा है. इस संस्कृति को बचाना है, भाषा परंपरा को बचाना है और अपना अधिकार भी लेना है. जिस तरह भाषा और संस्कृति के लिए एकजुटता का परिचय दिया है वही एकता हमें बनाकर रखना होगा तभी हमें अपना अधिकार मिलेगा. हमलोगों का संस्कृति बहुत महान है.जो प्रकृति से जुड़ी हुई है और प्रकृति के साथ ही जीवन जीने की कला सिखाती है. सभी को अपनी भाषा के साथ संस्कृति पर गर्व होनी चाहिये.

12 सितंबर को होगी बिशाल शोभायात्रा – करम परब के मौके पर 12 सितंबर को चास में पारंपरिक वेश भूषा के साथ करम जुलुस डहरें करम बेड़हा का आयोजन होगी. इस कार्यक्रम का आयोजन बृहद झारखंड कला सांस्कृतिक मंच द्वारा की जा रही है.

मंच के संयोजक राजेश महतो, सह संयोजक दयामय महतो बानुआर ने कहा कि शोभायात्रा की शुरूआत जगरनाथ महतो चौक आईटीआई मोड़ चास से होगी जो चास बाजार होते हुए बिरसा मुंडा चौक नया मोड़ में समापन होगी. इस अवसर पर पर ढोल, मांदर, नगाड़ा जैसे पारंपर गाजे बाजे के साथ करम गीतों से पूरा चास शहर गूंजेगा.

कहा करम परब हमारी समृद्धशाली सांस्कृतिक उत्सव है. उस परब त्योहार को बचाने के लिए, उसके संबर्धन और संरक्षण के लिए एवं लोगों में जागरूकता लाने के लिए मंच लगातार करम शोभायात्रा का आयोजन करती रही है. आयोजन का यह तीसरा साल है.

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