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पीएम मोदी का न्यूयॉर्क में प्रवासी भारतीयों को संबोधन

न्यूज़ लहर संवाददाता

**न्यूयॉर्क:** प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यूयॉर्क के एक इनडोर स्टेडियम में प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए उनके योगदान और भारतीयता की विविधता की सराहना की। उन्होंने कहा, “अपना नमस्ते भी मल्टीनेशनल हो गया है। यह सब आपने किया है।”

 

मोदी ने अपने संबोधन में प्रवासियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वे विभिन्न देशों से आए हैं, और उनके इस प्यार को उन्होंने अपने लिए एक बड़ा सौभाग्य बताया। उन्होंने याद किया कि कैसे वे पहले एक जिज्ञासु के रूप में अमेरिका के दौरे पर आया करते थे, जब वे न तो प्रधानमंत्री थे, न मुख्यमंत्री, और न ही कोई नेता।

 

भारतीयता की विविधता और एकता

 

प्रधानमंत्री ने भारतीय संस्कृति की विशेषताओं का उल्लेख करते हुए कहा, “विविधता को समझना और उसे अपने जीवन में उतारना हमारे संस्कारों में है। हम उस देश के वासी हैं, जहां सैकड़ों भाषाएं हैं, सैकड़ों बोलियां हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि भले ही भाषाएं अनेक हों, लेकिन भाव एक है—वह है भारतीयता। यह भावना हमें विश्व बंधु बनाती है।

त्याग और योगदान का महत्व

 

मोदी ने कहा, “हमारे यहां कहा जाता है- जो त्याग करते हैं, वे ही भोग पाते हैं।” उन्होंने प्रवासियों को प्रेरित करते हुए कहा कि चाहे हम किसी भी देश में रहें, यह भावना नहीं बदलती है कि हमें अपने समाज में अधिकतम योगदान देना चाहिए।

प्रवासियों का योगदान

 

उन्होंने अमेरिका में रह रहे भारतीयों के योगदान की प्रशंसा की, खासकर डॉक्टरों, शोधकर्ताओं, टेक पेशेवरों और वैज्ञानिकों के रूप में। उन्होंने हाल ही में हुए टी-20 वर्ल्ड कप का उदाहरण देते हुए बताया कि अमेरिका की टीम ने शानदार प्रदर्शन किया और इसमें भारतीय प्रवासियों का योगदान भी महत्वपूर्ण था।

 

एआई का नया अर्थ

 

प्रधानमंत्री मोदी ने एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के संदर्भ में एक दिलचस्प टिप्पणी की। उन्होंने कहा, “दुनिया के लिए एआई का मतलब है- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस। लेकिन मैं मानता हूं, एआई का मतलब है- अमेरिका और इंडिया।”

 

उन्होंने अंत में यह कहा कि वे दुनिया के हर कोने में भारतीय प्रवासियों की तारीफ सुनते हैं, जो भारत की साख को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

 

इस प्रकार, पीएम मोदी का यह संबोधन प्रवासी भारतीयों के लिए प्रेरणादायक था और उनके प्रयासों को मान्यता देने वाला था।

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