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तालिबान की पाकिस्तान और ईरान में राष्ट्रगान के प्रति अनादर: विवाद बढ़ा

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

नई दिल्ली:हाल ही में तालिबान अधिकारियों की एक हरकत ने पाकिस्तान और ईरान में विवाद खड़ा कर दिया है। तालिबान के प्रतिनिधियों ने दोनों देशों के राष्ट्रगान बजने के दौरान खड़े होने से इनकार किया, जिससे पाकिस्तान को एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेइज्जती का सामना करना पड़ा।

पेशावर में कार्यक्रम

 

17 सितंबर को पेशावर में पैगंबर मुहम्मद के जन्मदिन के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में तालिबान के अफगान दूत हाफिज मोहिबुल्लाह शाकिर सहित अन्य अधिकारियों ने पाकिस्तान के राष्ट्रगान के दौरान अपनी सीट पर बैठे रहने का निर्णय लिया। इस घटना पर पाकिस्तान की सरकार ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और तालिबान के इस व्यवहार को अपमानजनक बताया।

ईरान में भी वही स्थिति

 

इसके दो दिन बाद, 19 सितंबर को तेहरान में आयोजित इंटरनेशनल इस्लामिक यूनिटी कॉन्फ्रेंस के दौरान भी तालिबान प्रतिनिधि अज़ीज़ुर्रहमान मंसूर ने ईरानी राष्ट्रगान के समय खड़े होने से इनकार किया। जबकि अन्य सभी उपस्थित लोग खड़े हो गए थे, मंसूर अपनी सीट पर बैठे रहे। इस हरकत पर ईरानी सरकार ने भी विरोध जताया और तालिबान के राजदूत को तलब किया।

तालिबान का बचाव

 

पाकिस्तान और ईरान की ओर से उठे विरोध पर तालिबान ने अपने अधिकारियों के रुख का बचाव किया। तालिबान ने कहा कि वे संगीत के कारण नहीं खड़े हुए, क्योंकि उनके अनुसार यह इस्लामिक कानूनों के खिलाफ है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मंसूर का खड़ा न होना व्यक्तिगत निर्णय था और यह अफगान सरकार का आधिकारिक रुख नहीं दर्शाता।

 

ईरान से मांगी माफी

 

ईरानी मीडिया के अनुसार, तालिबान के विदेश मंत्री हक्कानी ने कहा कि वे ईरान का सम्मान करते हैं और मंसूर की हरकत को व्यक्तिगत मानते हैं। मंसूर ने एक वीडियो संदेश में कहा कि वह अफगानिस्तान की परंपरा के अनुसार बैठे रहे और उन लोगों से माफी मांगी जो इस घटना से नाराज हुए।

निष्कर्ष

 

इस घटनाक्रम ने एक बार फिर पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपमानित किया है, जबकि तालिबान की ओर से दी गई सफाई ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। यह मामला न केवल पाकिस्तान और तालिबान के बीच संबंधों को प्रभावित कर सकता है, बल्कि क्षेत्रीय राजनीति में भी महत्वपूर्ण मोड़ ला सकता है।

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