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2 अक्टूबर को साल का आखिरी सूर्यग्रहण: क्या भारत में दिखाई देगा रिंग ऑफ फायर?

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

नई दिल्ली:ज्योतिष में सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण की खगोलीय घटनाएँ विशेष महत्व रखती हैं। इस वर्ष, 2 अक्टूबर, 2024 (बुधवार) को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। यह ग्रहण पूर्ण सूर्य ग्रहण नहीं होगा, बल्कि वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा, जिसे “रिंग ऑफ फायर” के नाम से भी जाना जाता है।

सूर्यग्रहण का समय

 

लक्सर सांई मंदिर के पुजारी पं. अवनीश शर्मा के अनुसार, भारतीय समयानुसार यह सूर्यग्रहण रात 9:13 बजे से शुरू होकर 3:17 बजे तक चलेगा। यह साल 2024 में होने वाला दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण है, जिसके बाद इस वर्ष कोई अन्य ग्रहण नहीं होगा।

रिंग ऑफ फायर क्या है?

 

वैज्ञानिकों के अनुसार, जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीधी रेखा में आते हैं, तो यह खगोलीय घटना घटित होती है। जब चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमा करते हुए सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है, तो वह सूर्य का प्रकाश धरती पर नहीं पड़ने देता। यदि चंद्रमा पृथ्वी के निकट होता है, तो वह बड़ा दिखाई देता है और पूरी तरह से सूर्य को ढक लेता है। वहीं, जब चंद्रमा दूर होता है, तो वह केवल सूर्य के बीच के हिस्से को ढकता है, जिससे आसमान में आग का एक छल्ला नजर आता है—इसे “रिंग ऑफ फायर” कहा जाता है।

भारत में रिंग ऑफ फायर दिखाई देगा या नहीं?

 

साल 2024 का यह वलयाकार सूर्य ग्रहण मुख्यतः प्रशांत महासागर, दक्षिण अमेरिका, अर्जेंटीना, फिजी और चिली जैसे क्षेत्रों में देखा जा सकेगा। हालांकि, यह भारत में नहीं दिखाई देगा क्योंकि यह रात के समय होगा।

 

सूतक काल मान्य होगा या नहीं?

 

ज्योतिषी पंडित संदीप पाराशर के अनुसार, सामान्यतः सूर्य ग्रहण के 12 घंटे पहले से लेकर इसके समापन तक सूतक काल मान्य होता है। इस दौरान शुभ कार्यों की मनाही होती है और मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। लेकिन चूंकि यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए यहाँ सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।

निष्कर्ष

 

इस प्रकार, 2 अक्टूबर को होने वाला वलयाकार सूर्य ग्रहण एक अद्भुत खगोलीय घटना होगी, लेकिन भारत में इसे देखने का अवसर नहीं मिलेगा। फिर भी, यह घटना खगोल विज्ञान प्रेमियों और ज्योतिषियों के लिए चर्चा का विषय बनी रहेगी।

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