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पालकी पर मां दुर्गा का आगमन: कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

नई दिल्ली: शारदीय नवरात्र हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो देवी शक्ति, मां दुर्गा को समर्पित है। यह पर्व नौ दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें भक्त मां दुर्गा के नौ विभिन्न स्वरूपों की आराधना करते हैं। इस वर्ष नवरात्रि का आरंभ **3 अक्टूबर 2024** से होगा, जो हिंदू समुदाय के लिए एक प्रमुख उत्सव है। नवरात्रि का अर्थ ‘नौ रातें’ है, और इस दौरान भक्त उपवास रखते हैं, मंदिरों में जाते हैं और विशेष पूजा करते हैं।

कलश स्थापना के लिए नवरात्रि के पहले दिन दो प्रमुख मुहूर्त निर्धारित किए गए हैं। प्रातः काल का मुहूर्त सुबह **6:19 बजे** से **7:23 बजे** तक है, जबकि दोपहर काल का मुहूर्त **11:46 बजे** से **12:33 बजे** तक रहेगा।

कलश स्थापना की विधि में सबसे पहले एक मिट्टी के पात्र में थोड़ी मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज मिलाना होता है। इसके बाद तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर मौली बांधें।

लोटे में जल भरकर उसमें गंगाजल मिलाएं और उसके ऊपर दूब, अक्षत, सुपारी और कुछ पैसे रखें। आम या अशोक की पत्तियां कलश के ऊपर रखें और एक नारियल को लाल चुनरी से लपेटकर मौली बांधकर इसे कलश के बीच में स्थापित करें। कलश स्थापना के दौरान मां दुर्गा के मंत्रों का जाप करना चाहिए ताकि देवी का आशीर्वाद प्राप्त हो सके।

 

इस वर्ष मां दुर्गा पालकी पर सवार होकर आ रही हैं, जो धार्मिक दृष्टिकोण से शुभ नहीं माना जा रहा है। हालांकि, मां की आराधना से भक्तों के सारे मनोरथ पूर्ण होंगे। ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार, मां दुर्गा का पालकी पर आगमन देश और दुनिया के लिए चिंता का विषय हो सकता है। इस दौरान देश की अर्थव्यवस्था में गिरावट, महामारी के फैलने का डर और अप्राकृतिक घटनाओं की संभावना अधिक रहती है। इसके साथ ही, देश और विदेशों में हिंसा और स्वास्थ्य समस्याओं में वृद्धि हो सकती है।

नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। पहले दिन शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कुष्मांडा, पांचवे दिन स्कंदमाता, छठे दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी और नवम दिन सिद्धिदात्री की पूजा होती है।

 

नवरात्रि की कहानी महाभारत काल से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि जब राक्षस महिषासुर ने देवताओं को पराजित कर दिया था, तब देवताओं ने मिलकर मां दुर्गा को जन्म दिया था। मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर देवताओं को बचाया था। नवरात्रि इसी घटना की याद में मनाया जाता है।

 

इस बार के नवरात्रि में माता रानी की विशेष कृपा पाने के लिए भक्तों को विशेष रूप से पूजा-पाठ और नियमों का पालन करना चाहिए।

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