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इजरायल-लेबनान सीमा पर छह सौ भारतीय सैनिकों की तैनाती: स्थिति और संभावित प्रभाव

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

नई दिल्ली:इजरायल और लेबनान के बीच हालिया तनाव ने क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति को जटिल बना दिया है। इजरायली डिफेंस फोर्स (IDF) ने 30 सितंबर और 1 अक्टूबर की दरम्यानी रात लेबनान में हिज्बुल्लाह के ठिकानों के खिलाफ ‘लिमिटेड’ ग्राउंड ऑपरेशन शुरू किया है। इस ऑपरेशन के दौरान, इजरायल-लेबनान बॉर्डर पर लगभग 600 भारतीय सैनिक भी तैनात हैं, जो संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन (UNIFIL) का हिस्सा हैं।

भारतीय सैनिकों की भूमिका

 

भारतीय सैनिकों की तैनाती UNIFIL के तहत हुई है, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखना है। ये सैनिक भारत के अलावा अन्य देशों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, जिसमें इटली, फ्रांस, स्पेन, तुर्की, चीन और घाना शामिल हैं। कुल मिलाकर, UNIFIL में 10,000 से अधिक सैनिक तैनात हैं।

सुरक्षा प्राथमिकता

 

भारत के लिए अपने सैनिकों की सुरक्षा सर्वोपरि है। सेंटर फॉर जॉइंट वारफेयर स्टडीज (CENJOWS) के महानिदेशक मेजर जनरल अशोक कुमार (रिटायर्ड) ने बताया कि भारत एकतरफा तरीके से अपने सैनिकों को वापस नहीं बुला सकता। हालांकि, भारत लगातार अपने तैनात बलों के साथ संपर्क में है ताकि उनकी भलाई सुनिश्चित की जा सके।

कूटनीतिक दृष्टिकोण

 

भारत-इजरायल संबंध महत्वपूर्ण हैं, विशेषकर रक्षा के क्षेत्र में। लेकिन इस युद्ध में ईरान की भागीदारी भारत के लिए स्थिति को जटिल बना सकती है। ईरान भारत की कनेक्टिविटी परियोजनाओं, जैसे चाबहार बंदरगाह, के लिए महत्वपूर्ण है।

 

ऐतिहासिक संदर्भ

 

इससे पहले भी इजरायल और लेबनान के बीच कई संघर्ष हो चुके हैं। 1978 में जब इजरायल ने लेबनान में घुसपैठ की थी, तब संयुक्त राष्ट्र ने इजरायल से अपनी सेना को वापस बुलाने का आग्रह किया था। इसके बाद UNIFIL को स्थापित किया गया था ताकि क्षेत्र में शांति बनाए रखी जा सके।

 

निष्कर्ष

 

भारतीय सैनिकों की तैनाती इस बात का संकेत है कि भारत अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा में सक्रिय भूमिका निभा रहा है। वर्तमान स्थिति में भारतीय सैनिकों की सुरक्षा और उनके मिशन की सफलता दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। जब तक स्थिति स्थिर नहीं होती, भारतीय सेना अपनी भूमिका निभाते हुए क्षेत्र में शांति बनाए रखने का प्रयास करेगी।

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