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ईवीएम विवाद: चुनाव आयोग ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज किया

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

नई दिल्ली: जब भी चुनाव आते हैं, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की चर्चा तेज हो जाती है। हाल में ईवीएम की बैटरी को लेकर कई तरह की बातें सामने आई हैं। मंगलवार को चुनाव आयोग की टीम महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव का ऐलान करने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल हुई थी, जहां ईवीएम से संबंधित मुद्दे उठाए गए।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त का बयान

 

मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) राजीव कुमार ने हरियाणा की कुछ विधानसभा सीटों पर ईवीएम से कथित छेड़छाड़ के कांग्रेस नेताओं के दावों को सिरे से खारिज कर दिया। कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया था कि अलग-अलग बैटरी क्षमता वाली ईवीएम ने अलग-अलग नतीजे दिए हैं। इस पर सीईसी ने कहा, “पहले भी हैकिंग के आरोप लगाए गए थे, लेकिन यह मामला पहली बार सामने आया है।”

कुमार ने स्पष्ट किया कि ईवीएम की बैटरी एकल-इस्तेमाल वाली होती है और इसे रिचार्ज नहीं किया जा सकता। उन्होंने बताया कि मतदान की तारीख से लगभग छह दिन पहले ईवीएम चालू कर दी जाती हैं और उस समय एक नई बैटरी लगाई जाती है, जिस पर उम्मीदवारों या उनके अधिकृत एजेंट के हस्ताक्षर होते हैं।

 

बैटरी और सुरक्षा संबंधी चिंताएँ

 

सीईसी ने यह भी कहा कि उम्मीदवारों के हस्ताक्षर बैटरी पर भी होते हैं, जिससे मशीन की विश्वसनीयता बढ़ती है। उन्होंने पेजर से जुड़े धमाकों का उदाहरण देते हुए कहा कि पेजर नेटवर्क से जुड़े होते हैं, जबकि ईवीएम नहीं होते।

कांग्रेस का आरोप और निर्वाचन आयोग की प्रतिक्रिया

 

कांग्रेस नेताओं ने हाल ही में हरियाणा में हुए विधानसभा चुनावों में ईवीएम के बारे में 20 शिकायतें दर्ज कराई थीं। सीईसी कुमार ने कहा, “हम प्रत्येक शिकायत का विस्तृत जवाब देंगे और उसे सार्वजनिक करेंगे।” उन्होंने यह भी बताया कि निर्वाचन आयोग सभी हितधारकों को संतुष्ट करने के लिए ‘एफएक्यू’ (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल) जारी करेगा।

 

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि जहां 99 प्रतिशत बैटरी चार्ज थी, वहां भाजपा जीत गई और जहां 60-70 प्रतिशत चार्ज थी, वहां कांग्रेस जीत गई। इस पर कुमार ने कहा कि ईवीएम की कंट्रोल यूनिट में बैटरी का इस्तेमाल होता है और इसे चालू करने के दिन उम्मीदवारों की मौजूदगी में नई बैटरी डाली जाती है।

बैटरी की कार्यप्रणाली

 

कुमार ने बताया कि बैटरी 7.5 से 8 वोल्ट के बीच वोल्टेज देती है, इसलिए वोल्टेज 7.4 से ऊपर होने पर बैटरी की क्षमता 99 प्रतिशत दिखाई जाती है। जैसे ही वोल्टेज 7.4 से नीचे चला जाता है, बैटरी की क्षमता कम होती जाती है। मतगणना के दिन बैटरी की शेष क्षमता कंट्रोल यूनिट पर किए गए ‘मॉक मतदान’, वास्तविक मतदान और बैटरी के प्रारंभिक वोल्टेज पर निर्भर करती है।

 

इस प्रकार, चुनाव आयोग ने ईवीएम की सुरक्षा और विश्वसनीयता पर जोर देते हुए सभी आरोपों का खंडन किया है और आगे की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने का आश्वासन दिया है।

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