देवघर सिविल सर्जन को 70 हजार रुपये की घूस लेते एसीबी ने किया गिरफ्तार
न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड:एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) की टीम ने देवघर के सिविल सर्जन डॉ. रंजन सिन्हा को 16 अक्टूबर 2024 को 70,000 रुपये की घूस लेते हुए गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई तब की गई जब परिवादी मो. महफुज आलम ने शिकायत की कि सिविल सर्जन ने उनके नर्सिंग होम के प्रमाण पत्र के नवीनीकरण के लिए घूस मांगी थी।
शिकायत का आधार
परिवादी महफुज आलम, जो पश्चिम बंगाल के पश्चिम वर्द्धमान जिले के निवासी हैं, ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2020 में “बंगाल नर्सिंग होम” नामक एक दस बेड का अस्पताल खोला था। उनका प्रोविजनल प्रमाण पत्र 09 जून 2024 तक वैध था, जिसे नवीनीकरण की आवश्यकता थी। महफुज आलम ने बताया कि उनके गॉल ब्लाडर का ऑपरेशन होने के कारण वे प्रमाण पत्र के नवीनीकरण के लिए आवेदन में 24 दिन की देरी से पहुंचे थे।
घूस की मांग
जब महफुज आलम ने डॉ. रंजन सिन्हा से मुलाकात की, तो उन्होंने नवीनीकरण के लिए 1,00,000 रुपये की मांग की। महफुज ने जब उनसे विनती की, तो डॉ. सिन्हा ने कहा कि वे तीन-चार बार में उक्त राशि दे सकते हैं और फिर नवीनीकरण होगा। महफुज आलम ने घूस देने से इनकार कर दिया।
सत्यापन और गिरफ्तारी
इस मामले का सत्यापन कराया गया, जिसमें डॉ. रंजन सिन्हा द्वारा घूस की राशि को बढ़ाकर 1,50,000 रुपये करने की पुष्टि हुई। आरोपी ने महफुज आलम को 70,000 रुपये की पहली किस्त देने के लिए अपने आवास पर बुलाया था। एसीबी ने इस सूचना के आधार पर कार्रवाई करते हुए उन्हें रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया।
आगे की कार्रवाई
गिरफ्तारी के बाद एसीबी अब मामले में आगे की जांच कर रही है और डॉ. रंजन सिन्हा के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो दुमका में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। यह मामला भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही मुहिम में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि सरकारी अधिकारियों द्वारा घूस मांगने वाले मामलों में सख्त कार्रवाई हो रही है, जो समाज में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सकारात्मक संकेत है।