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कांग्रेस सरकार ने क्यों हटाया था “आदिवासी धर्म कोड”? भाजपा ने दिया जवाब

न्यूज़ लहर संवाददाता
रांची। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने अपने ट्विटर पर लिखा है कि झारखंड समेत पूरे देश का आदिवासी समाज आज यह सवाल उठाता है कि अंग्रेजों के जमाने (1871) से लेकर आजादी के बाद पहली जनगणना (1951) तक जब हर जनगणना में “आदिवासी धर्म कोड” का विकल्प मौजूद था, तो आखिर 1961 में कांग्रेस की सरकार ने इसे क्यों हटा दिया? आदिवासी समुदाय यह जानना चाहता है कि जिस आदिवासी धर्म कोड को हटाने की हिम्मत अंग्रेज भी नहीं कर पाए थे, उसे कांग्रेस ने किस आधार पर खत्म किया?

आदिवासी अधिकारों पर भाषण देने वाले लोग अब यह बताएं कि उस समय कांग्रेस सरकार ने आदिवासी धर्म कोड को हटाने का दुस्साहस क्यों किया? क्या यह आदिवासी समाज के खिलाफ एक ऐतिहासिक गद्दारी नहीं है? और क्या आदिवासी समाज इस धृष्टता को कभी माफ कर पाएगा?

आज जब कुछ राजनीतिक दल आदिवासी समाज के हितैषी होने का दावा करते हैं, तब उनसे यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि झारखंड आंदोलन को कुचलने की बार-बार कोशिश करने वाले, आंदोलनकारी आदिवासियों पर गोली चलवाने वाले, और संथाली भाषा की संवैधानिक मान्यता की मांग को लगातार नजरअंदाज करने वाले लोग आखिर आदिवासियों के शुभचिंतक कैसे हो सकते हैं?

दूसरी ओर, भाजपा ने आदिवासी समाज के अधिकारों को मान्यता देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में भाजपा सरकार ने झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे दो आदिवासी बहुल राज्यों का निर्माण किया। इसके अलावा, संथाली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कर आदिवासियों की भाषा को भी संवैधानिक मान्यता दिलाई गई।

आदिवासी समाज के अन्य मुद्दों पर भी भाजपा ने कदम उठाए हैं, चाहे “हो भाषा” (वरांग क्षिति लिपि) को मान्यता दिलाने की बात हो या अन्य सांस्कृतिक अधिकारों की रक्षा का सवाल हो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने भी आदिवासी समाज के अधिकारों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाए हैं, और यही कारण है कि आदिवासी समाज भाजपा पर विश्वास कर सकता है।

भविष्य में आदिवासी समाज के अधिकारों के प्रति सजग रहकर काम करने की प्रतिबद्धता

भाजपा ने यह स्पष्ट किया है कि आदिवासी समाज के आंदोलन और अधिकारों का सम्मान किया जाएगा, और उनके लिए जो भी आवश्यक कदम होंगे, भाजपा की सरकार उन्हें उठाएगी। पार्टी का मानना है कि आदिवासी समाज के लिए उनकी पहचान और अधिकारों की रक्षा करना अत्यावश्यक है, और इसी के तहत पार्टी ने झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों का निर्माण किया और आदिवासी भाषाओं को संवैधानिक मान्यता दी।

आदिवासी समाज को कांग्रेस से जवाब चाहिए

अब आदिवासी समाज यह जानना चाहता है कि कांग्रेस ने आखिर “आदिवासी धर्म कोड” को क्यों हटाया था? कांग्रेस के सहयोगियों को भी पहले कांग्रेस से यह सवाल पूछना चाहिए कि आदिवासी समाज के खिलाफ इस गद्दारी की असली वजह क्या थी।

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