अकाल तख्त के फरमान का सत्कार करते हुए एक नवंबर को कृत्रिम सजावट के बजाय केवल घी के दिये जलायें: सीजीपीसी अकाल तख्त साहिब का फरमान; बंदी छोड़ दिवस पर शहीदों की याद में बिजली की सजावट से बचें और घी के दीये जलाएं
न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड।कोल्हान में सिखों की धार्मिक सिरमौर संस्था सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी (सीजीपीसी) ने श्री अकाल तख़्त के उस फरमान का स्वागत और संगत से फरमान को तामील करने की अपील की है जिसमे कहा गया है कि एक नवंबर को बंदी छोड़ दिवस के मौके पर सिख कत्लेआम के शहीदों की याद में अपने घरों में केवल घी के दिए जलायें तथा कृत्रिम और बनावटी सजावट से बचें।
बुधवार को सीजीपीसी के प्रधान सरदार भगवान सिंह और महासचिव अमरजीत सिंह ने संगत के नाम संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा है की
एक नवंबर के लिए अकाल तख्त द्वारा जारी फरमान का सत्कार करते हुए कोल्हान ही नहीं बल्कि समूची झारखण्ड की संगत को कृत्रिम रौशनी की बनावटी सजावट को त्याग कर घरों में घी के दिए जलाने चाहिये।
जमशेदपुर के युवा सिख धर्म प्रचारक हरविंदर सिंह जमशेदपुरी ने भी अकाल तख्त के फरमान का हवाला देते हुए संगत से अपील की है कि शहीदों के नाम कृत्रिम सजावट न कर, केवल घी के दिए ही जलाये जाएँ यही शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
गौरतलब है कि, श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघुबीर सिंह ने सिख समुदाय के लिए बंदी छोड़ दिवस के अवसर पर एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है। उन्होंने 1 नवंबर, शुक्रवार को सिखों के छठे गुरु महाराज गुरु हरगोबिंद साहिब जी की याद में केवल घी के दीये जलाने की सलाह दी है और किसी भी प्रकार की बिजली की सजावट न करने का अनुरोध किया है। यह निर्देश 1984 में हुए सिख कत्लेआम की 40वीं बरसी के मद्देनजर दिया गया है।
ज्ञानी रघुबीर सिंह ने घोषणा की है कि इस साल केवल दरबार साहिब पर ही बिजली की सजावट की जाएगी। दुनिया भर की सिख संगत को सलाह दी गई है कि वे अपने घरों और गुरुद्वारों में केवल घी के दीये जलाएं और बिजली की सजावट से परहेज करें।