अनन्य भाव का कीर्तन “बाबा नाम केवलम्”: आनंद मार्ग ने गदरा में 300 लोगों को भोजन एवं 100 फलदार पौधों का वितरण किया
न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड:जमशेदपुर में आनंद मार्ग यूनिवर्सल रिलीफ टीम ग्लोबल की ओर से गदरा स्थित आनंद मार्ग जागृति में 3 घंटे का “बाबा नाम केवलम्” अखंड कीर्तन संपन्न हुआ। इस आयोजन में 300 नारायणों (जरूरतमंदों) को भोजन कराया गया और 100 ग्रामीणों के बीच फलदार पौधों का वितरण किया गया। इस कार्यक्रम में ग्रामीणों को भक्ति और साधना के महत्व पर प्रकाश डाला गया।
सुनील आनंद ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि “बाबा नाम केवलम्” कीर्तन एक अनन्य भाव का कीर्तन है। यह कीर्तन एक उच्चतम और श्रेष्ठतम भावनात्मक अभ्यास है, जो हमें अशांति, तनाव, और चिंता से मुक्ति दिलाता है। कीर्तन के माध्यम से व्यक्ति ईश्वर के साथ एक गहरा संबंध स्थापित कर सकता है और अपनी आंतरिक शक्तियों को जागृत कर सकता है। उन्होंने बताया कि कीर्तन से संकल्पना शक्ति, विचार शक्ति, और कार्य शक्ति जागृत होती हैं, जो हमें सफलता, आनंद, और समृद्धि की ओर अग्रसर करती हैं।
सुनील आनंद ने यह भी बताया कि हरि का कीर्तन करने से कार्य की तामसिकता समाप्त हो जाती है, इसलिए किसी भी कार्य में जाने से पहले 5 मिनट का कीर्तन करने की आदत डालनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कीर्तन, भक्ति और ध्यान का एक अद्वितीय माध्यम है, जिसके माध्यम से व्यक्ति ईश्वर से संवाद स्थापित कर सकता है और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त कर सकता है।
कीर्तन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने कहा कि यह एक साधना है जो व्यक्ति को सामाजिक बंधनों से मुक्त करती है और उसे आत्मिक एवं मानसिक स्वतंत्रता का अनुभव कराती है। यह प्रेम, सहानुभूति, और एकाग्रता को बढ़ावा देता है, जिससे जीवन सुखी और समृद्ध बनता है। कीर्तन से हमारे मन को संयमित करने की क्षमता मिलती है और इंद्रियों के विषयों के प्रति वैराग्य की प्राप्ति होती है। यह मन, शरीर, और आत्मा के संगम का अनुभव कराता है।
सुनील आनंद ने कहा कि कीर्तन का अभ्यास व्यक्ति को सच्चे सुख और परम आनंद की ओर ले जाता है। यह ईश्वर के साथ गहरा संबंध बनाता है और जीवन में शांति की अवस्था लाता है। कीर्तन के माध्यम से हम अपने अंतरंग जगत को शुद्ध कर सकते हैं और आनंदमय जीवन का अनुभव कर सकते हैं।
कार्यक्रम के अंत में, आनंद मार्ग के आदर्शवादियों ने यह संदेश दिया कि कीर्तन के माध्यम से हम सभी में ईश्वर के दिव्य आत्मा का अनुभव कर सकते हैं। यह हमें समाज के प्रति सेवा और प्रेम की भावना से प्रेरित करता है और हमें एकता एवं अद्वैत की अनुभूति दिलाता है।
इस आयोजन के माध्यम से न केवल भक्ति का संदेश दिया गया, बल्कि सामाजिक सेवा के उद्देश्य से पौधारोपण और भोजन वितरण जैसे कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया, जो समाज में आध्यात्मिकता के साथ-साथ पर्यावरणीय संतुलन और सेवा की भावना को भी बढ़ावा देता है।