झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 15 पदाधिकारियों को पार्टी से निष्कासित किया,पश्चिमी सिंहभूम जिला समिति का कार्यालय आदेश
न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड:झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) पश्चिमी सिंहभूम जिला समिति ने एक महत्वपूर्ण कार्यालय आदेश जारी किया है। इस आदेश में पार्टी के कुछ पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को अनुशासन भंग के आरोप में तत्काल प्रभाव से पार्टी से निष्कासित करने का निर्णय लिया गया है।
अनुशासन भंग का मामला
आदेश के अनुसार, झामुमो के केंद्रीय नेतृत्व और जिला समिति द्वारा दिए गए स्पष्ट निर्देशों के बावजूद, कुछ पदाधिकारी और कार्यकर्ता इंडिया गठबंधन के साझा प्रत्याशी के खिलाफ कार्य कर रहे थे। यह स्थिति पार्टी की एकता और चुनावी रणनीति के लिए हानिकारक मानी गई। पार्टी ने यह कदम अपने अनुशासन को बनाए रखने और चुनाव में एकजुटता सुनिश्चित करने के लिए उठाया है, जिससे कि पार्टी की चुनावी संभावनाओं को मजबूत किया जा सके।
निष्कासन की सूची
पार्टी से निष्कासित किए गए 15 पदाधिकारियों की सूची जारी की गई है, जिसमें विभिन्न प्रखंडों से कार्यकर्ताओं को अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत निष्कासित किया गया है। यह कार्रवाई पार्टी के चुनावी समन्वय और रणनीति को मजबूत करने के उद्देश्य से की गई है। निष्कासन सूची में शामिल हैं:
1. संजय हांसदा, चक्रधरपुर प्रखंड
2. मंटू गागराई, चक्रधरपुर प्रखंड
3. अविनाश पुरती, चक्रधरपुर प्रखंड
4. मरकुस गागराई, चक्रधरपुर प्रखंड
5. संजय केरकेट्टा, चक्रधरपुर प्रखंड
6. श्याम गागराई, बंदगांव प्रखंड
7. हरि कान्डेयांग, बंदगांव प्रखंड
8. इजहार राही, नोवामुण्डी प्रखंड
9. शेख मुख्तार उर्फ पप्पू, नोवामुण्डी प्रखंड
10. मो० फिरोज, नोवामुण्डी प्रखंड
11. सोहेल अहमद, जगन्नाथपुर प्रखंड
12. राजू लागुरी, जगन्नाथपुर प्रखंड
13. रॉबर्ट कोड़ा, जगन्नाथपुर प्रखंड
14. भुवनेश्वर हेस्सा, जगन्नाथपुर प्रखंड
15. कृष्णा सिंकु, जगन्नाथपुर प्रखंड
पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को सूचना
इस आदेश की एक प्रतिलिपि झामुमो के केंद्रीय अध्यक्ष श्री शिबू सोरेन जी को और संबंधित प्रखंडों को सूचनार्थ भेजी गई है, ताकि इस निर्णय से सभी स्तर पर जागरूकता रहे और पार्टी की एकता को मजबूती मिले। पार्टी नेतृत्व ने स्पष्ट कर दिया है कि अनुशासनहीनता के किसी भी मामले में सख्त कदम उठाए जाएंगे।
निष्कर्ष
झारखंड मुक्ति मोर्चा का यह कदम पार्टी की अनुशासनात्मक नीतियों को मजबूती प्रदान करता है और चुनावी रणनीति में एकता बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। आगामी विधानसभा चुनावों में सभी दलों के साथ समन्वय स्थापित कर जीत सुनिश्चित करने के लिए यह निर्णय लिया गया है।