बाबा नाम केवलम्” कीर्तन: आध्यात्मिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत

न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड:जमशेदपुर में आनंद मार्ग प्रचारक संघ की हरि परिमंडल गोष्ठी के तत्वावधान में गदरा आनंद मार्ग जागृति में कीर्तन गायन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में शहर की 20 से अधिक मंडलियों ने भाग लिया। प्रतिभागियों को तीन श्रेणियों- सर्वोत्कृष्ट, उत्कृष्ट, और अति उत्कृष्ट में पुरस्कृत किया गया।
आयोजन का उद्देश्य समाज में बढ़ते तामसिक और राजसिक भाव को संतुलित कर लोगों को आध्यात्मिकता और सकारात्मकता की ओर प्रेरित करना था। आयोजकों ने बताया कि सामूहिक कीर्तन से केवल शारीरिक ऊर्जा ही नहीं, बल्कि मानसिक ऊर्जा भी एकत्रित होती है। इससे एक सकारात्मक और सात्विक वातावरण का निर्माण होता है, जिसका लाभ न केवल प्रतिभागियों, बल्कि आसपास के लोगों को भी मिलता है।
आचार्य नभतीतानंद अवधूत ने कहा कि “बाबा नाम केवलम्” कीर्तन भक्ति, ध्यान और सकारात्मक ऊर्जा का सर्वोत्तम माध्यम है। उन्होंने बताया कि कीर्तन करने से तनाव, अशांति और चिंता से मुक्ति मिलती है और यह ईश्वर से गहरे संबंध स्थापित करने का सरल मार्ग है।
उन्होंने आगे कहा कि कीर्तन मन, शरीर और आत्मा के बीच सामंजस्य स्थापित करता है। यह हमारे विचार, संकल्प और कार्यशक्ति को जागृत करता है, जो सफलता और आनंद की ओर ले जाता है। कीर्तन के माध्यम से व्यक्ति अपने मन को संयमित कर तामसिक प्रवृत्तियों पर विजय पा सकता है।
कार्यक्रम के अंत में यह संदेश दिया गया कि कीर्तन एक साधना है जो व्यक्ति को आत्मिक स्वतंत्रता प्रदान करती है। यह प्रेम, सहानुभूति और स्थिरता की भावना को जागृत कर जीवन को सुखमय और समृद्ध बनाता है।
निष्कर्षतः, “बाबा नाम केवलम्” कीर्तन केवल एक साधना नहीं, बल्कि एक ऐसा माध्यम है, जो समाज को भक्ति, शांति और सकारात्मकता की दिशा में प्रेरित करता है।