चेन पुलिंग पर सख्ती: रेलवे लगाएगा भारी जुर्माना और डिटेंशन चार्ज
न्यूज़ लहर संवाददाता
नई दिल्ली:अब ट्रेन में चेन पुलिंग करना यात्रियों को बेहद महंगा पड़ सकता है। रेलवे ने इस पर सख्ती करते हुए जुर्माने के साथ-साथ ट्रेन के ठहराव का खर्च वसूलने का नया नियम लागू किया है। नए नियमों के तहत, बिना गंभीर वजह के चेन पुलिंग करने पर यात्रियों को ₹500 जुर्माने के अलावा ट्रेन के रुकने का खर्च भी देना होगा। यह खर्च एक मिनट के लिए ₹8,000 और पांच मिनट के लिए ₹40,500 तक हो सकता है।
रेलवे का कहना है कि चेन पुलिंग के कारण न केवल ट्रेन की समय-सारणी बाधित होती है, बल्कि इससे रेलवे को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है। ट्रेन को दोबारा शुरू करने में 5-10 मिनट का समय लगता है, जिससे अन्य ट्रेनों का संचालन भी प्रभावित होता है।
नए नियमों का उद्देश्य
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, इस सख्ती का मकसद चेन पुलिंग जैसी अनावश्यक गतिविधियों को रोकना और ट्रेन को समय पर चलाना सुनिश्चित करना है। रेलवे ने यह भी बताया कि अक्सर चेन पुलिंग के बाद यात्री ट्रेन से उतरकर भागने की कोशिश करते हैं, जो सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक है। अब ऐसे यात्रियों पर भी जुर्माना लगाया जाएगा।
किन परिस्थितियों में चेन पुलिंग पर जुर्माना नहीं लगेगा?
हालांकि, रेलवे ने कुछ विशेष परिस्थितियों में चेन पुलिंग पर छूट दी है:
1. यदि यात्री की जान को खतरा हो, जैसे गिरने की स्थिति में दुर्घटना से बचने के लिए चेन पुलिंग की जाए।
2. यदि 10 वर्ष से कम आयु का बच्चा या 60 वर्ष से अधिक आयु का व्यक्ति ट्रेन से छूट गया हो और यह साबित हो कि उनका ट्रेन में चढ़ना अनिवार्य था।
नियम का प्रभाव और जुर्माने की राशि
रेलवे ने यह भी स्पष्ट किया है कि ट्रेन के रुकने का खर्च जुर्माने में जोड़ा जाएगा। उदाहरण के तौर पर:
1 मिनट रुकने का जुर्माना: ₹8,000
5 मिनट रुकने का जुर्माना: ₹40,500
10 मिनट रुकने का जुर्माना: ₹80,500
रेलवे अधिकारियों ने कहा है कि इस नियम को सख्ती से लागू किया जाएगा। यात्री इस बारे में जागरूक रहें और अनावश्यक चेन पुलिंग से बचें।
यात्रियों से अपील
रेलवे ने यात्रियों से अपील की है कि अगर किसी कारणवश चेन पुलिंग होती है, तो ट्रेन में चढ़ने-उतरने की कोशिश न करें। ऐसा करने पर भी जुर्माना लगाया जाएगा। यह नया नियम यात्रियों को अनुशासित करने और रेलवे की कार्यप्रणाली को सुधारने के लिए लागू किया गया है।
रेलवे का यह कदम ट्रेन संचालन को सुचारु बनाने और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक अहम पहल माना जा रहा है।