झारखंड में निजी नौकरियों में 75% आरक्षण पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
न्यूज़ लहर संवाददाता
रांची:झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में स्थानीय युवाओं को 75% आरक्षण देने वाले कानून को लागू करने पर रोक लगा दी है। यह आदेश जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रौशन की खंडपीठ ने लघु उद्योग संघ द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
कानून का पृष्ठभूमि
राज्य सरकार ने सितंबर 2021 में झारखंड राज्य रोजगार अधिनियम 2021 पारित किया था, जिसके अनुसार निजी कंपनियों को 40,000 रुपये तक की मासिक सैलरी वाली नौकरियों में 75% रिक्तियों को स्थानीय उम्मीदवारों से भरने का निर्देश दिया गया था। इस अधिनियम का उद्देश्य स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करना था।
याचिका और कोर्ट का निर्णय
लघु उद्योग संघ ने अपनी याचिका में कहा कि यह अधिनियम राज्य और झारखंड के बाहर के उम्मीदवारों के साथ भेदभाव करता है और संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ है। वकील एके दास ने तर्क दिया कि राज्य सरकार निजी कंपनियों को एक निश्चित श्रेणी के लोगों को रोजगार देने के लिए निर्देशित नहीं कर सकती है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने पहले ऐसे ही मामलों में निर्णय देते हुए ऐसे अधिनियमों को रद्द किया था।
हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया और अगली सुनवाई 20 मार्च 2024 को निर्धारित की गई है।
निष्कर्ष
इस निर्णय से झारखंड में निजी क्षेत्र में स्थानीय युवाओं के लिए आरक्षण की स्थिति अनिश्चित बनी हुई है, और यह मामला आगे की कानूनी प्रक्रिया के तहत विचाराधीन रहेगा।