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झारखंड के निर्माता अटल बिहारी वाजपेयी को पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने दी श्रद्धांजलि

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

झारखंड।पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए अपने एक्स पोस्ट में झारखंड राज्य के गठन में उनके योगदान को याद किया। उन्होंने लिखा कि अटल जी के नेतृत्व के बिना झारखंड का गठन शायद कई दशकों तक संभव नहीं हो पाता।

चंपाई सोरेन ने लिखा, “सन 1999 में दुमका में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए अटल जी ने झारखंड को अलग राज्य बनाने का वादा किया था। भाजपा की सरकार बनने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने वादे को निभाते हुए 15 नवंबर 2000 को झारखंड राज्य का गठन किया।”

उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकारों ने झारखंड के लिए दशकों तक अनदेखी की थी। लेकिन अटल जी ने झारखंड आंदोलन को सम्मान दिया और राज्य के लिए विशेष योजनाएं शुरू कीं।

 

संथाली भाषा को दिया संवैधानिक दर्जा

चंपाई सोरेन ने अटल सरकार के दौरान 2003 में संथाली भाषा (ओल चिकी लिपि) को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करवाने के निर्णय को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि यह आदिवासी समाज के लिए एक बड़ी जीत थी, जो वर्षों से इसके लिए संघर्ष कर रहे थे।

आदिवासी विकास के लिए विशेष मंत्रालय का गठन

चंपाई सोरेन ने यह भी उल्लेख किया कि अटल बिहारी वाजपेयी ने 1999 में भारत में पहली बार जनजातीय मंत्रालय का गठन किया। उन्होंने इसे आदिवासियों के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

झारखंड के विकास का विजन और वर्तमान स्थिति पर चिंता

पूर्व मुख्यमंत्री ने लिखा कि अटल बिहारी वाजपेयी का झारखंड के प्रति गहरा लगाव था। उन्होंने राज्य में कई योजनाएं शुरू कीं और आदिवासियों के लिए विशेष ध्यान दिया। लेकिन उन्होंने आज की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य में भ्रष्टाचार का बोलबाला है और आदिवासियों की स्थिति बिगड़ रही है।

 

मोदी सरकार के प्रयासों की सराहना

चंपाई सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की योजनाओं, जैसे पीएम जनमन योजना और एकलव्य मॉडल विद्यालय, की सराहना की। उन्होंने कहा कि ये योजनाएं अटल जी के सपनों को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम हैं।

 

अंत में, चंपाई सोरेन ने पोखरण परमाणु परीक्षण और कारगिल युद्ध में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व को याद करते हुए उन्हें महान नेता बताया और उनकी जयंती को “सुशासन दिवस” के रूप में मनाने का आह्वान किया।

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