शर्मनाक : अधिकार की बात कर सिस्टम सुधारने निकले जयराम विधायक बनते ही करने लगे अवैध कब्ज़ा*
न्यूज़ लहर संवाददाता
रांची:भाषा आंदोलन से शुरू हुई हक और अधिकार की लड़ाई अब अवैध कब्जे में अपनी हिस्सेदारी और वसूली में तब्दील हो गई है। बीती रात बेरमो से जो एक तस्वीर निकल कर आई है उसपर सिर्फ यही कहा जा सकता है। शर्मनाक, शर्मनाक, शर्मनाक। खुद की तुलना आंदोलनकारियों से करने वाले जयराम। माफ़ कीजियेगा माननीय जयराम, विधायक हैं भाई। रात दो बजे CCL के क्वार्टर पर कब्जा करने पहुंचे हैं। सिस्टम की सफाई करने उतरे थे, अब दलदल का हिस्सा बनने की लड़ाई लड़ रहे है।
जयराम की बातों को सुनकर सब बदल देने के आपके अरमान पर पानी फिर जाएगा। इन्हें भी जबरन कब्जा करना है। क्यों? क्योंकि बाकियों ने कर रखा है। कल ये कमीशन भी लेंगे क्यूंकि बाकी भी लेते हैं। कल ये विचारों को ताक पर रखकर राजनीति भी करेंगे क्योंकि बाकी भी करते हैं। शर्मनाक है जयराम का व्यवहार। भाषा तो पहले ही खराब थी। गाली गलौज तो आम है।
लगा जवान खून है , समय और जिम्मेदारी सब सिखा देगी. लेकिन जयराम पर तो अलग ही सनक सवार है। क्रांतिकारियों का नाम लेते है। संविधान की दुहाई देते हैं। भगत सिंह आइडियल हैं। बिनोद बिहारी महतो, निर्मल महतो का नाम लेते हैं। मत नाम लो रे भाई। इन्हें बदनाम मत करो। ये बिलकुल नहीं चाहेंगे कि उनको मानने वाला जो अब माननीय भी है, वह भीड़ की सनक में अपने पुरखों का नाम खराब करे। माननीयों का काम भीड़ को दिशा देना है।
दिशाहीन करना नहीं। कब्जा हटाने गए पुलिसकर्मियों के घर और परिवार का एड्रेस पता कर रखने की धमकी भी दे रहें हैं। साहेब विधायक जो हैं। अब ये धमकी भी देंगे, कब्जा भी करेंगे। और जब बात बदलाव की जगह बाकियों से बराबरी पर आ गयी है तो वसूली भी। जय राम। हे राम।