सरायकेला: पुलिस की कार्रवाई पर किसानों का विरोध, झूठे आरोपों से न्याय की गुहार
न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड।सरायकेला जिले में किसानों ने पुलिस पर अमानवीय व्यवहार और झूठे आरोप लगाने का गंभीर आरोप लगाया है। राजनगर थाना क्षेत्र के डांगरडीहा गांव के किसान रंजन दलाई और उनके सहयोगियों ने दावा किया कि खेती कार्य के लिए खरीदे गए बैलों को तस्करी का आरोप लगाकर पुलिस ने जब्त कर लिया। मामले में एक किसान को जेल भेजा गया है, जबकि किसानों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और वरिष्ठ अधिकारियों से न्याय की गुहार लगाई है।
घटना का विवरण
किसानों के अनुसार, रंजन दलाई और दो अन्य किसान 26 दिसंबर को ओडिशा के हाट बादडा साप्ताहिक हाट से तीन जोड़ी बैल खरीदकर सरायकेला ला रहे थे। मांजनाघाट पुल के पास पुलिस ने वाहन को रोककर बैलों को जब्त कर लिया। रंजन दलाई ने बताया कि उन्होंने तुरंत खरीद के कागजात दिखाए, लेकिन पुलिस ने इसे मवेशी तस्करी का मामला बताते हुए उनके भाई को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
पुलिस पर आरोप
किसानों ने कहा कि बैलों को सरायकेला थाना परिसर में खुले आसमान के नीचे भूखा-प्यासा रखा गया। जब किसान बैलों को चारा और पानी देने गए, तो उन्हें रोक दिया गया। बाद में एसडीओ सदानंद महतो के हस्तक्षेप के बाद बैलों को चारा खिलाने की अनुमति मिली। रंजन दलाई ने कहा, “हम तस्कर नहीं हैं। गाय और बैल हमारे देवता हैं। हम भगवान बलभद्र के अनुयायी हैं, जो हलधर कहलाते हैं।”
पुलिस का पक्ष
सरायकेला थाना प्रभारी सतीश बरनवाल ने कहा कि बैलों को एक छोटे वाहन में ठूंस-ठूंस कर ले जाया जा रहा था, जिससे क्रूरता का मामला बनता है। उन्होंने दावा किया कि किसानों द्वारा प्रस्तुत कागजात संदेहास्पद थे। बैलों को भूखा-प्यासा रखने के आरोपों को भी उन्होंने खारिज किया और कहा कि पुलिस ने उन्हें भोजन और पानी उपलब्ध कराया।
किसानों की मांग और न्याय की गुहार
रंजन दलाई ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर इस घटना की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। किसानों ने पुलिस पर जानबूझकर उन्हें फंसाने और दलालों के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया है। किसानों ने कहा कि यह घटना उनकी आजीविका और प्रतिष्ठा पर हमला है। उन्होंने पुलिस और दलालों की भूमिका की जांच, झूठे आरोपों को खारिज करने और किसानों के सम्मान को बहाल करने की अपील की है।
प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग
घटना से आहत किसानों ने कहा कि उन्हें केवल न्याय चाहिए और उनके साथ दुर्व्यवहार करने वालों पर कड़ी कार्रवाई हो। किसानों ने इसे “घोर निंदनीय” करार दिया है और जल्द से जल्द न्याय दिलाने की अपील की है।